डिंडौरी। लॉकडाउन के दौरान आज देश 1 मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मना रहा है, वही मध्यप्रदेश के आदिवासी जिला डिंडौरी से जलसंकट को लेकर ऐसी तस्वीर सामने आ रही हैं, जिसे देख आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे. डिंडौरी जनपद क्षेत्र के ग्राम अझवार से सारस ताल मार्ग में 2 किलोमीटर की दूरी पर मजदूर वर्ग पानी के लिए परेशान है. ग्रामीण मजदूर बूंद-बूंद पानी को मोहताज हैं. वे परिवार के साथ मिलकर बरसाती नाले में कुएं खोदने को मजबूर हैं.
गड्ढा खोद कर पी रहे हैं पानी आदिवासी जिला डिंडौरी का जनपद क्षेत्र डिंडौरी अंतर्गत ग्राम अझवार जहां न तो अब तक नलजल योजना पहुंची है और न ही हैंडपम्प खोदा जा सका है. ये हम नही यह ग्रामीण कह रहे हैं जो अपने परिवार के साथ ही बरसाती नाले में कुआं खोदने में जुट गए हैं. यह तस्वीर जिले के उन नेताओं की उपलब्धि पर करारा तमाचा है जो विकास को लेकर बड़ी-बड़ी बातें मंच से किया करते हैं. अझवार के यादव परिवार ने बताया कि नेता गांव में तभी आते हैं जब चुनाव होते हैं उसके बाद पूरे पांच साल उनके दर्शन दुर्लभ होते हैं.
गांव में नहीं है नलजल योजना इंसान सहित जानवर भी प्यासेबरसाती नाले में कुआं खोद रहे यादव परिवार की महिला सदस्य का कहना है कि उनके द्वारा खोदे गए इस कुएं से वे अपना और अपने घरों के मवेशियों की प्यास बुझाएंगे जो खेत मे इस्तेमाल होते है. महिला ने कहा कि खोदे गए कुएं से मिलने वाला पानी मैला और गंदा है पर पीना उनकी मजबूरी है. अगर नही पियेंगे तो प्यास से मर जायेंगे.
हर गर्मी यही हालऐसा नही है कि यह नजारा इसी गर्मी में देखने को मिल रहा है. ग्रामीणों कहना है कि हर साल जब-जब गर्मी बढ़ने लगती है तब तब गांव मे जलसंकट छा जाता है और उन्हें इसी तरह से बरसाती नाले में छोटे छोटे झिरिया बनाकर पानी सहेजना पड़ता है ताकि वे अपना और अपने परिवार की प्यास बुझा सकें.
सरकार से पानी की मांगअझवार गांव जलसंकट से हर साल गुजरता है, ग्रामीणों की मांग है कि सरकार उन तक पानी की व्यवस्था कराए जिससे वे अपने परिवार सहित मवेशियों की प्यास बुझा सके. बहरहाल अझवार से 2 किलोमीटर दूर के 5 से 7 परिवार है जो हर साल गर्मी में जल संकट से सामना करता है.