मंडला लोकसभा की जंग फतह करने के लिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टी के प्रत्याशी और नेता अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं. बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही जनता को रिझाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. बीजेपी विकास के मुद्दे पर जनता के बीच जा रही है तो वहीं कांग्रेस इस बार कमलनाथ के वचन पत्र के सहारे डिंडौरी जिले की जनता का वोट हासिल करने में जुटी है.
मंडला में राहुल नहीं कमलनाथ के सहारे 'कमल' को हराने की तैयारी में कमल, बीजेपी ने भी तैयार की खास रणनीति - मंडला
मंडला लोकसभा की जंग फतह करने के लिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टी के प्रत्याशी और नेता अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं. कैबिनेट मंत्री ओमकार सिंह मरकाम का कहना है कि जैसे प्रदेश में कमल को कमलनाथ ने हराया है, ठीक उसी तरह इस बार मंडला में भी कमल को कमल मरावी हराएंगे.
![मंडला में राहुल नहीं कमलनाथ के सहारे 'कमल' को हराने की तैयारी में कमल, बीजेपी ने भी तैयार की खास रणनीति](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/images/768-512-2977771-thumbnail-3x2-k.jpg)
दरअसल, मंडला लोकसभा क्षेत्र के डिंडौरी जिले में विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस को कामयाबी कमलनाथ के वचनपत्र के सहारे ही मिली थी. कर्जमाफी का वादा किसानों को इस कदर रास आया कि उन्होंने कांग्रेस के वचन पत्र पर भरोसा जताते हुए जीत का ताज पहनाया. राहुल गांधी के मेनीफेस्टो से कहीं ज्यादा कांग्रेस प्रत्याशी कमलनाथ के वचन पत्र के सहारे मंडला लोकसभा पर जीत का परचम फहराना चाहते हैं. कैबिनेट मंत्री और कांग्रेस के कद्दावर आदिवासी नेता ओमकार सिंह मरकाम का कहना है कि जैसे प्रदेश में कमल को कमलनाथ ने हराया है ठीक उसी तरह इस बार मंडला में भी कमल को कमल मरावी हराएंगे.क्योंकि ये रियल कमल है वो काल्पनिक कमल है.
डिंडौरी के पूर्व बीजेपी विधायक दुलीचंद उरेती का कहना है कि कांग्रेस सरकार के दौर में न तो प्रदेश में सड़कें थी और न खाने को राशन मिलता था. जिले में भुखमरी के हालात थे. बीजेपी नेता का दावा है कि भाजपा सरकार आने के बाद डिंडौरी जिले में चारों तरफ सड़कों का जाल फैला है. हर गांव में हर घर में बाइक से लेकर फोरव्हीलर है. यही विकास है . भाजपा प्रत्याशी फग्गन सिंह कुलस्ते की तारीफ करते हुए पूर्व विधायक ने कहा कि कुलस्ते का अपना व्यक्तित्व है, जनाधार है , पकड़ है और वे फिर से जीतकर आएंगे. चुनाव के दौरान हर पार्टी और नेता के अपने अपने वादे हैं . अब देखना होगा जनता किसके वादों पर ज्यादा भरोसा कर वोट की मुहर लगाकर दिल्ली भेजेगी.