डिंडौरी। आदिवासी जिला डिंडौरी में जल, जंगल और जमीन की लड़ाई अब भी जारी है. अपने पूर्वजों से काबिज आदिवासी बैगा और कुछ अन्य समाज के लगभग 36 परिवार जंगल की जमीन का मालिकाना हक पाने के लिए जिला प्रशासन और वन विभाग से सालों से लड़ाई लड़ रहे हैं. आलम ये है कि प्रशासन इनके सभी दस्तावेजों को अमान्य कर इनका जमीनी हक को निरस्त कर रहा है, तो वहीं अब बरेंडा के बैगा आदिवासी अपने पूर्वजों की जमीन छोड़ने को राजी नहीं है, फिर चाहे उनकी जान ही क्यों ना चली जाए. बैगा आदिवासी जंगल में कई सालों से खेती कर, अपना जीवन यापन करते आ रहे है.
ग्रामीणों ने लगाए ये आरोप
ये मामला डिंडौरी जिले के करंजिया विकासखंड क्षेत्र की बरेंडा गांव का है, जहां करीब 36 परिवार जंगल में अपने पूर्वजों से काबिज होकर निवास कर रहे हैं. ग्रामीणों का आरोप है कि आए दिन वन विभाग के अधिकारी उन्हें जंगल खाली करने के लिए धमकाते हैं, और उनकी लगाई फसल को मवेशियों को चरवाने के लिए आमादा है.
जंगल की लड़ाई में कई ग्रामीणों की गई जान
ग्रामीणों ने ये भी आरोप लगाया है कि वन विभाग के लोगों ने इनके बनाए कच्चे घरों को भी नष्ट कर उजाड़ दिया. बरेंडा ग्राम के आदिवासी बैगाओं ने इसकी गुहार जिला प्रशासन से भी लगाई थी, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है. ग्रामीणों ने बताया कि वन विभाग से जंगल की इस लड़ाई में कई ग्रामीणों को अपनी जान से भी हाथ धोना पड़ा है.