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बूंद-बूंद के लिए हर दिन दांव पर लगानी पड़ती है जिंदगी, तब जाकर बुझती है प्यास

आदिवासी बाहुल्य धार जिले के ग्रामीण अंचलों में पानी की गंभीर समस्या है. यहां के कई गांवों में लोग बूंद-बूंद पानी के लिए के लिए जान जोखिम में डालते हैं. धार जिले के सूलियाबड़ी गांव में भी पीने के पानी का भारी संकट है. आलम यह है कि छोटे-छोटे बच्चे तक अपनी जिंदगी दांव पर लगाकर पानी भरते हैं.

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बूंद-बूंद के लिए संघर्ष

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Published : Jun 12, 2020, 1:26 PM IST

धार।मध्य प्रदेश के ग्रामीम अंचलों में पानी की कमी सबसे बड़ी समस्या है, जिससे आदिवासी बाहुल्य धार जिला भी अछूता नहीं है. यहां के कई गांवों में आज भी लोग बूंद-बूंद पानी के लिए संघर्ष कर रहे हैं. सूलियाबड़ी, पंनाला, मेहंदीखेड़ी गांव के लोग हर दिन जान जोखिम में डालकर किसी तरह पानी का इंतजाम करते हैं.

बूंद-बूंद के लिए संघर्ष

यहां के लोग विंध्याचल पहाड़ी में कई फीट नीचे बने कुंड से पानी भरते हैं, कुंड से पानी भरने के लिए ग्रामीणों को घाटीनुमा रास्ते से पहले नीचे उतरना पड़ता और फिर उसी रास्ते से ऊपर आना पड़ता है. जिससे हमेशा जान का खतरा बना रहता है. गांव में पानी न होने के कारण बच्चे, बूंढ़े और महिलाएं सभी दिन-भर पानी का इंतजाम करने में ही जुटे रहते हैं.

खतरीला है पहाड़ी का रास्ता

हैंडपंप खराब होने से बढ़ जाती है परेशानी

ग्रामीणों ने बताया कि गांव में लगे हैंडपंप खराब होने के बाद पानी के लिए यह कुंड ही एक मात्र उपाय रहता है. लेकिन यहां तक आने के लिए हर दिन एक से दो किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है. ग्रामीणों ने कहा कि पानी की समस्या पर उन्होंने कई बार जनप्रतिनिधियों से लेकर प्रशासन से भी पानी के संसाधन उपलब्ध कराने की अपील की लेकिन आज तक पानी के लिए कोई इंतजाम नहीं किया गया.

बंद हो गए हैंडपंप

अधिकारियों ने दिया रटा-रटाया जबाव

मामले में जब ईटीवी भारत ने नालछा जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी जीएस मुवेल से बात की. तो उन्होंने कहा ग्रामीणों की समस्या से हमने जिला प्रशासन को अवगत करा दिया है.

पहाड़ी के नीचे कुंड से भरते है पानी

सूलियाबड़ी गांव में जल्द से जल्द टैंकरों के जरिए पानी पहुंचाया जाएगा. अधिकारियों ने सूलियाबड़ी गांव में पानी पहुंचाने का दावा तो कर दिया लेकिन दावों को हकीकत में बदलने की जरूरत है. ताकि ग्रामीणों को पानी मिल सके. क्योंकि सूलियाबड़ी गांव में पानी के लिए अगर ग्रामीण इसी तरह जान जोखिम में डालते रहे तो यहां बड़ी घटना भी हो सकती है.

बच्चे, बूढ़े महिलाएं सब होते हैं परेशान

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