धार। प्राचीन इमारतों में हिंदू-मुस्लिम संस्कृति का संगम कराने वाला और नैसर्गिक सुंदरता से सबका मन मोहने वाला मांडू वॉटर कंजर्वेशन और रेन वॉटर हार्वेस्टिंग के लिए भी मशहूर है. मांडू की हर एक इमारत में पानी की कमी को पूरा करने के लिए बारिश के पानी को संजोना शुरू किया गया है.
रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के लिए भी मशहूर है 'मांडू'
समुद्र तल से 21 फीट की ऊंचाई पर स्थित मांडू में पानी संजोना बड़ी चुनौती थी. जिसके लिए सालों पहले ही मांडू की इमारतों में वॉटर कंजर्वेशन और रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम डेवलप किया गया था. इस सिस्टम के लिए बाकायदा मांडू की इमारतों में ऐसा प्रबंध किया गया कि हर एक इमारत में पानी की कमी को पूरा किया जा सके.
नहरों से बावड़ी और तालाबों में किया जाता है पानी संग्रहित
नहरों से बावड़ी और तालाबों में किया पानी संग्रहित
बारिश के पानी को संजोने के लिए रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम डेवलप किया गया. जिसके लिए बाकायदा सभी इमारतों में छोटी-छोटी नहरों से बारिश के पानी को छोटी-छोटी बावड़ियों और तालाबों में संग्रहित किया गया. इस संग्रहित पानी का उपयोग साल भर मांडू के राजा-महाराजा और जनता करती थी. ये वॉटर कंजर्वेशन और रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम आज भी मांडू में मौजूद है. जिसकी वजह से गर्मी के दिनों में भी पानी की कमी नहीं होती.
जहाज महल है जीता-जागता उदाहरण
जहाज महल है जीता-जागता उदाहरण
रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का जीता-जागता उदाहरण है यहां का कपूर और मुंज तालाब के मध्य स्थित जहाज महल. जहाज महल परिसर में स्थित चंपा बावड़ी और नाहर झरोखे के साथ मांडू में स्थित हर एक इमारत में ये सिस्टम देखने को मिलता है. इस सिस्टम के लिए हर एक इमारत में छोटी-छोटी नहरों का निर्माण किया गया है. जिनका कनेक्शन इस तरह किया गया है कि बारिश का पानी इमारतों की छोटी-बड़ी बावड़ियों और तालाबों में जुटाया जा सके. इस तरह मांडू की हर इमारत में बारिश के पानी को संग्रहित कर उसे उपयोग में लाया जाता था. इसलिए मांडू अपने वैभवशाली इतिहास, सुंदर इमारतों और नैसर्गिक सुंदरता के साथ वॉटर कंजर्वेशन और रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के लिए भी प्रसिद्ध है.