धार। आवश्यकता ही आविष्कार की जननी होती है, इस बात का उदाहरण आदिवासी बाहुल्य जिले कि पर्यटन नगरी मांडू के पास स्थित सूलीबयडी गांव में देखने को मिला, जहां के ग्रामीण तेर सिंह ने जुगाड़ से एक बैलगाड़ी बनाई है.
पीने का पानी लाने बनाई जुगाड़ की बैलगाड़ी - dhar news
धार के सूलीबयडी गांव का एक ग्रामीण को दो किलोमीटर दूर से पानी भर कर लाना होता जिसमें काफी परेशानी होती थी. इस परेशानी से निजात पाने तेर सिंह की जुगाड़ वाली बैलगाड़ी बना ली है.
ग्रामीण तेर सिंह ने बताया कि गांव में पीने के पानी कि समस्या है, इसलिए उसे अपने गांव सूलीबयड़ी से 2 किलोमीटर दूर स्थित तालाब से पानी भर कर लाना पड़ता है, जहां का रास्ता ढ़लान भरा और उबड़-खाबड़ है, जिससे पानी की कैन उठाकर लाने में काफी परेशानी होती थी. इसी समस्या से निजात पाने के लिए उसने जुगाड़ से बैलगाड़ी बनाई और उसी बैलगाड़ी पर अब वो दो कैन भर के पीने का पानी रखकर रोज अपने घर के लिए लाता है.
इसके लिए तेर सिंह ने लकड़ी की सहायता से छोटी सी बैलगाड़ी बनाई है. उसमें लकड़ी के ही दो छोटे-छोटे पहिए लगाएं और अब उसी बैलगाड़ी पर पानी से भरी 2 कैने रखकर अपने घर लाता है. जिससे अब उसे किसी तरह कि कोई परेशानी नहीं होती है. दरअसल गांव में जल समस्या होने के चलते तेर सिंह को गांव से 2 किलोमीटर दूर पहाड़ी क्षेत्र से पीने का पानी लाना पड़ता था. इस समस्या से निजात पाने के लिए उसने जुगाड़ से बैलगाड़ी बनाई है और अब वो उसी बैलगाड़ी से पीने का पानी भर के रोज अपने घर लाते हैं.