धार। 14 सितंबर को हर साल हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है और हिन्दी विशेषज्ञों का मानना है कि अपने विचारों को व्यक्त करने का सबसे सुलभ साधन हिन्दी है. आज के इस आधुनिक युग में हिन्दी ही एक ऐसी भाषा है जिसे बड़ी आसानी से सीखा और पढ़ा जा सकता है. इसी भाषा के माध्यम से बड़ी ही आसानी से विचारों को व्यक्त किया जाता है. हिन्दी दिवस को लेकर विशेष चर्चा करते हुए हिन्दी व्याख्याता देवदत्त बर्वे ने बताया कि अपने विचारों को व्यक्त करने का हिन्दी सबसे सुलभ साधन है.
हिन्दी दिवस विशेष: अपने विचारों को व्यक्त करने का सबसे सुलभ साधन है हिन्दी
हिन्दी दिवस को लेकर विशेष चर्चा करते हुए हिन्दी व्याख्याता देवदत्त बर्वे ने बताया कि अपने विचारों को व्यक्त करने का हिन्दी सबसे सुलभ साधन है.
हिन्दी व्याख्याता देवदत्त बर्वे ने बताया कि पहले लोग अंग्रेजी भाषा की ओर ज्यादा आकर्षित होते थे, लेकिन समय के साथ-साथ लोगों ने हिन्दी का महत्व भी समझा. इसके श्रेय लोगों ने आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी और रामचंद्र शुक्ल को दिया. हिन्दी के व्याख्याता देवदत्त बर्वे ने बताया कि विदेशी भाषा का चाहे जितना ज्ञान हो, लेकिन जब तक अपनी निज भाषा या मातृभाषा का पूरा ज्ञान नहीं हो तो हम आपस में भी संवाद करने में सफल नहीं हो पाते हैं.
आज के आधुनिक युग में लोग जरूर अंग्रेजी भाषा कि ओर आकर्षित होते हैं. वहीं कुछ लोगों का मानना है कि जो अंग्रेजी में बातचीत करता है वो ज्यादा ज्ञानी होता है, ज्यादा प्रभावशाली होता है, लेकिन हिन्दी भाषा की भी अपनी मर्यादा है और हिन्दी भाषा को जानने वाले लोग भी प्रभावशील रहे हैं. इसलिए आधुनिक युग में जितनी आवश्यकता अंग्रेजी भाषा की है, उससे ज्यादा आवश्यकता हिन्दी भाषा की भी है. ईटीवी भारत से चर्चा के दौरान व्याख्याता देवदत्त बर्वे ने कहा कि हर भारतीय को हिन्दी का ज्ञान होना आवश्यक है.