धार। मध्यप्रदेश में पिछले दिनों हुई बारिश ने एक बार फिर अन्नदाता को चिंता में डाल दिया है. सरदार सरोवर बांध के ओवरफ्लो होने के कारण नर्मदा नदी का जलस्तर बढ़ गया था. जिसके बाद निचले इलाकों में बसे धार जिले के बलवाड़ा और लहसन गांव के किसानों की 300 बीघा से अधिक मक्का, केले, कपास और सोयाबीन की फसलें जलमग्न हो गईं हैं. अब जब नर्मदा का जलस्तर कम हुआ है, तो बाढ़ की तबाही का मंजर चारों ओर दिखाई दे रहा है. बाढ़ के कारण फसलें सड़कर बदबू देने लगी हैं, किसान ये तबाही का मंजर देख कर चिंतित हो उठा है, किसान को एक ओर कर्ज की चिंता है, तो वहीं दूसरी ओर वो परिवार का भरण पोषण कैसे करेगा इसको लेकर भी काफी परेशान है.
वहीं सरकार की ओर से मिलने वाले मुआवजे से किसान को बड़ी आस है, लेकिन किसानों को सरकार की ओर से मिलने वाला मुआवजा लागत से भी कम मिलता है. जिसके चलते किसान बड़ा दुखी है. अन्नदाता चाहते हैं कि उसे लागत के अनुसार मुआवजा मिले.
बाढ़ की तबाही-
बलवाड़ा के किसान धन सिंह बताते हैं कि नर्मदा नदी में आई बाढ़ और सरदार सरोवर बांध के कारण नर्मदा के बैक वाटर ने उनकी मक्का और कपास की फसल को पूरी तरीके से जलमग्न कर खराब कर दिया है. जिससे अब वो कर्ज के बोझ तले दबने को मजबूर हो गए हैं, वो चाहते हैं कि सरकार की ओर से जो उन्हें मुआवजा मिले, वो लागत के अनुसार मिले. वहीं नर्मदा किनारे की हमारी जमीनों को एन.वी.डी.ए डूब क्षेत्र में मानकर इन्हें अधिग्रहित करें और इसका मुआवजा दें या फिर जमीन के बदले जमीन देने की कार्रवाई की जाए.
लागत के हिसाब से मुआवजा-
किसान राजेंद्र मंडलोई बताते हैं कि सरकार की ओर से मिलने वाला मुआवजा ऊंट के मुंह में जीरे के समान होता है. फसलों की लागत 8 से 10 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर के हिसाब से आती है और सरकार की ओर से जो मुआवजा मिलता है वो 4 से 5 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर का होता है, जो लागत से भी कई गुना कम होता है और अपर्याप्त होता है. ऐसे में सरकार अब किसानों को फसलों की लागत राशि के हिसाब से मुआवजा राशि दें, सरकार ऐसा करती है तो किसानों को सही रूप में मुआवजा मिलेगा, नहीं तो ये मुआवजा ऊंट के मुंह में जीरे के समान होगा.