धार।मध्य प्रदेश में संविधान की पांचवीं अनुसूची को लागू कराने का मामला अब हाईकोर्ट के संज्ञान में लाया गया है. जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस) के राष्ट्रीय संरक्षक डॉ हीरालाल अलावा की याचिका पर सुनवाई करते हुए इंदौर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से 2 हफ्ते के अंदर जवाब मांगा है कि आखिर क्यों प्रदेश में पांचवी अनुसूची के प्रावधानों को लागू नहीं किया गया है. बता दें मनावर विधायक और आदिवासी नेता डॉ हीरालाल अलावा ने 28 अगस्त, 2020 को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर बेंच में इस सूची के प्रावधानों को लागू कराने को लेकर याचिका दायर की थी. आदिवासियों के हितों के संरक्षण और उनके विकास के लिए पांचवी अनुसूची को लेकर डॉ हीरालाल ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की.
आजादी के 73 साल बाद भी लागू नहीं हुई 5वीं अनुसूची
उन्होंने कहा कि आज आजादी के 73 साल हो गए हैं, इतने सालों बाद भी मध्यप्रदेश के साथ कई अन्य आदिवासी बाहुल्य राज्यों में सरकारों ने आदिवासियों के विकास के लिए 5वीं अनुसूची के प्रावधानों को लागू नहीं किया है. इन प्रावधानों के माध्यम से ही संविधान में आदिवासियों की सुरक्षा, संरक्षण और उनके विकास को सुनिश्चित किया गया है. इसीलिए प्रदेश में 5वीं अनुसूची लागू जल्द कराने के उद्देश्य को लेकर जयस ने जनहित याचिका लगाई थी. जिस पर 5 सितंबर 2020 को हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ के न्यायधीश सतीश शर्मा और शैलेंद्र शुक्ला ने संयुक्त रूप से सुनवाई की. प्रदेश सरकार नोटिस जारी कर के 2 हफ्ते में अभी तक प्रदेश में पांचवी अनुसूची लागू क्यों नहीं हुई इसको ले कर जवाब मांगा है.
5वीं अनुसूची से होगा आदिवासियों का विकास
जयस के राष्ट्रीय संरक्षक व मनावर विधायक डॉ हीरालाल अलावा ने बताया कि 5वीं अनुसूची के माध्यम से ही आदिवासियों का विकास संभव हो पाएगा.आज आदिवासियों से उनकी मर्जी के बिना उनकी जमीनें छीनी जा रहीं हैं. उनकी जमीनों पर बड़े-बड़े उद्योग धंधे स्थापित किए जा रहे हैं. आदिवासियों को मजबूरन अपने घरों से अपने क्षेत्रों से पलायन को मजबूर होना पड़ रहा है.यदि प्रदेश में जल्द ही 5वीं अनुसूची लागू नहीं की गई तो, आदिवासियों को उनका हक नहीं मिलेगा, इसलिए आदिवासियों की सुरक्षा, संरक्षण और विकास के लिए 5वीं अनुसूची लागू होना बेहद जरूरी है.
कमलनाथ सरकार होती तो लागू हो गए होते इस सूची के प्रावधान
विधायक डॉ हीरालाल अलावा का कहना है कि हमने कमलनाथ सरकार के समय भी 5वीं अनुसूची प्रदेश में लागू करने की मांग रखी थी. अगर आज प्रदेश में कमलनाथ की सरकार होती तो निश्चित ही प्रदेश में पांचवी अनुसूची लागू करने की कार्रवाई की जाती है. प्रदेश में लोकतंत्र की हत्या हुई और बीजेपी ने कमलनाथ सरकार गिरा दी गई. जिससे कहीं ना कहीं प्रदेश में पांचवी अनुसूची लागू नहीं हो पाई.