धार। विंध्य की पहाड़ियों पर जमीन से करीब दो हजार फीट ऊंचाई पर बसी मध्यप्रदेश की ऐतिहासिक नगरी मांडू, जिसे सिटी ऑफ जॉय के नाम से भी जाना जाता है. मांडू का गौरवशाली इतिहास और पौराणिक इमारते आज भी यहां आने वाले पर्यटकों को मांडू के अतीत में ले कर जाती है. जिसमें पर्यटकों को रानी रूपमती और बाज बहादुर की संगीत प्रेम मधुर धन सुनाई देती है. मांडू की इमारतों में हिंदू-मुस्लिम संस्कृति का मिलाजुला स्वरूप देखने को मिलता है. मांडू के किलो और मकबरों कि वास्तुकला ओर खूबसूरत नक्काशी पर्यटकों को आचार्य जनक लगती है. बरसात में पल-पल बदलता मांडू का मौसम पर्यटकों को खूब भाता है. कभी घना कोहरा,तो कभी बारिश कि बोझार पर्यटकों का मन मोह लेती है. हरियाली की चादर ओढ़े मांडू पर्यटकों को खूब लूभाता है. इसी के चलते मांडू में हमेशा पर्यटकों का जमावड़ा लगा रहता है.
मांडू का इतिहास
अतीत में मांडू में परमार, मुगल ,मराठा और अंग्रेजों का राज रहा. इतिहासकार भोज पाल सिंह बताते हैं कि मांडू का इतिहास 9वीं सदी का है. 9 वीं सदी में लेकर 13 सदी तक मांडू में परमार शासकों का राज रहा. इस समय सबसे ज्यादा मांडू में जैन ओर वैष्णव संप्रदाय के मंदिर रहे. इसी समय मांडू में सुंदर और सुरक्षित महलों का निर्माण कार्य शुरू हुआ. 14वीं सदी में मांडू में मुगलों का शासन कायम हुआ. इस समय मांडू में मुगल शासकों ने हिंदू और जैन संप्रदाय के मंदिरों को तोड़कर, मस्जिद, मकबरों और शिकार गाहों में तब्दील किया. मांडू में स्थित होशंगशाह के मकबरे में सबसे पहले संगमरमर पत्थर का इस्तेमाल किया गया और उसी की तर्ज पर आगरा में ताजमहल का निर्माण का सपना देखा गया. इस तरह 9 वीं सदी से लेकर 17 सदी तक मांडू में समय-समय पर परमार, मुगल, मराठा और अंग्रेजों का राज रहा, जिसने मांडू को अलग-अलग पहचान दी.
मांडू के इतिहास में रानी रूपमती और मांडू के राजा बाज बहादुर का संगीत प्रेम भी गूंजता है. जिस की निशानियां रूपमती मंडप और बाज बहादुर महल के रूप में आज भी मांडू मौजूद हैं. आश्चर्य में डालने वाली वास्तुकला और खूबसूरत नक्काशी के नमूने जहाज महल हिंडोला महल और रूपमती महल, चम्पा बावड़ी में देखने को मिलते हैं. जामी मस्जिद, अशर्फी महल, होशंगशाह के मकबरे में हिंदू-मुस्लिम संस्कृति का मिला झूला स्वरूप देखने को मिलता है. इस तरह मांडू का इतिहास वैभवशाली है.
मांडू आकर मिला सुकून
मांडू घूमने आए पर्यटक का कहना है कि कि कोरोना वायरस के कारण कई महीनों को तक लॉकडाउन लगा रहा. लॉकडाउन का समय तनावपूर्ण रहा, लेकिन अनलॉक हुआ तो हम मांडू घूमने आए है, यहां आकर सारा तनाव दूर हो गया. उनका कहना है कि मांडू का पल-पल बदलता मौसम उनके मन को भा गया. मांडू आकर कर उनको सबसे ज्यादा सुकून मिला है. इसीलिए वे मध्यप्रदेश के पर्यटन विभाग धन्यवाद किया.