धार। कोविड महामारी के दौर में एक ओर जहां लोगों ने आपदा को अवसर में बनाकर कर दिखाया है. तो वहीं आज भी कई ऐसे लोग हैं, जो लगातार नवाचार कर रहे हैं. देश में ऐसे लोग हैं जो अपने दिमाग के बूते, जुगाड़ से ऐसे-ऐसे संसाधन बना रहे हैं, जिससे बीमारी का मुकाबला किया जा सकता है और देश को फिर से खड़ा किया जा सकता है. धार के आरो स्पेयर पार्ट्स के व्यापारी दीपक बिड़कर ने, ऑक्सीजन सिलेंडर के ऊपर लगने वाला फ्लो मीटर वॉल को जुगाड़ से बना दिया. जिसका इस्तेमाल खुद भी घर पर अपनी बीमार मां के लिए कर रहे हैं और लोगों को भी इसके बारे में बता कर दे रहे हैं.
दम तोड़ रहे 'मेडिकल संसाधन'
महामारी के इस दौर में देश एक ओर जहां संसाधनों की कमी से जूझ रहा है, तो वही देश के लोग कंधे से कंधा मिलाकर नवाचार की मिसाल पेश कर रहे हैं. इस महामारी से जंग जीतने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं. ऑक्सीजन की कमी की किल्लत किसी से छुपी नहीं है. काला बाजारी करने वाले लोग इस समय इस आपदा को अवसर में बदल कर रहे हैं. ऑक्सीजन मरीज के लिए बहुत आवश्यक है. ऑक्सीजन सिलेंडर तो आसानी से मिल जाता है लेकिन उसके ऊपर लगने वाला फ्लो मीटर वॉल, इस समय आसानी से नहीं मिल रहा है. यह बाजार में मुश्किल से 2 से 3 हजार रुपये के आसपास मिल रहा है. क्योंकि ऑक्सीजन सिलेंडर के अंदर से ऑक्सीजन मरीज के पास पहुंचाने के लिए फ्लो मीटर वॉल की बहुत आवश्यकता होती है. इसी के माध्यम से ऑक्सीजन सिलेंडर के अंदर से मरीज के फेफड़ों तक ऑक्सीजन पहुंचती है.
बाजार से गायब फ्लो मीटर वॉल
अलग-अलग कंपनियां इसे बनाने के लिए अलग-अलग सामग्री का इस्तेमाल करती हैं. अचानक से ऑक्सीजन की मांग बढ़ने के कारण फ्लो मीटर वॉल बाजार से गायब हो चुका है. अगर धार शहर की बात करें तो बहुत मुश्किल से फ्लोमीटर वॉल दुकानों पर उपलब्ध हो रहा है. ऑक्सीजन सिलेंडर का जुगाड़ तो आदमी कर पा रहा है लेकिन ऑक्सीजन फ्लो मीटर नहीं मिलने के कारण ऑक्सीजन सिलेंडर का महत्व नहीं बच रहा है. ऐसे में धार शहर के आरो स्पेयर पार्ट्स के व्यापारी दीपक बिड़कर ने जुगाड़ से ऑक्सीजन फ्लो मीटर वॉल बनाया है जो बहुत ही कारगर साबित हो रहा है.
फ्लो मीटर वॉलमां के लिए बना संजीवनी