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ब्लैक फंगस के मरीजों का संख्या बढ़कर 9 हुई, पूर्व चिकित्सा अधिकारी ने गवाई आंख

जिले में ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या बढ़कर 9 हो गई है. यहां मिल रहे सभी मरीजों को इलाज के लिए फिलहाल, इंदौर रेफर किया जा रहा है.

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ब्लैक फंगस

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Published : May 24, 2021, 12:42 PM IST

धार। प्रदेश में कोरोना वायरस के बाद अब ब्लैक फंगस के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. यहां जिला स्तर पर ब्लैक फंगस से निपटने के लिए प्रारंभिक जांच के बाद मरीजों को इंदौर रेफर किया जाता है. अभी तक जिले में ब्लैक फंगस के 9 मामले सामने आए हैं.

ब्लैक फंगस के पहले मरीज डाॅ. शुक्ला ने बताया
जिला अस्पताल से सेवानिवृत्त पूर्व चिकित्सा अधिकारी डाॅ. केसी शुक्ला भी ब्लैक फंगस की चपेट में आ चुके थे. उन्हाेंने बताया कि 3 अप्रैल काे काेराेना संक्रमित हाेने पर वे शहर के एक निजी अस्पताल में भर्ती हुए थे. 14 अप्रैल काे उनकी कोरोना रिपोर्ट निगेटिव रिपाेर्ट आई थी. उसी रात उनकी आंख में अचानक दर्द हाेने लगा और सूजन आ गई. 15 अप्रैल काे वे इंदाैर के सुयश अस्पताल में भर्ती हाे गए थे. फंगस इतना ज्यादा फैल गया कि एक आंख निकालनी पड़ी. डाॅ. शुक्ला कैंसर मरीज हाेने के साथ उनकी बायपास सर्जरी भी हुई है, उन्हें शुगर भी है. सर्जरी के बाद फिलहाल डाॅ. शुक्ला घर पर ही हैं. उन्हाेंने कहा कि दवाइयां नहीं मिलने की वजह से वे वैकल्पिक दवाइया ले रहे हैं. डॉ शुक्ला कहते हैं कि कितनी भी बड़ी बीमारी हो उसे हराने के लिए इच्छा शक्ति प्रबल होनी चाहिये. जिससे आप आसानी से बीमारी को मात दे सकते हैं. मेंने भी केंसर, बायपास, शुगर, कोरोना व अब ब्लैक फंगस को मात दी है.

निजी चिकित्सकों से सेवा देने का आग्रह
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ जितेंद्र चौधरी ने बताया कि जिले में नौ ब्लैक फंगस से संक्रमित मरीज हैं. जिन्हें इंदौर रेफर किया गया है. यहां वैकल्पिक इलाज की व्यवस्था जिला प्रशासन जुटाने में लगा है. चौधरी ने बताया कि हमारे पास नेत्र रोग विशेषज्ञ हैं एवं अन्य निजी चिकित्सकों से भी सेवा देने के लिए आग्रह किया गया है.


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ब्लैक फंगस के इलाज में आ रही दिक्कतें
जिला हॉस्पिटल व शहर में एंफोटरइसिन-बी इंजेक्शन व इलाज में उपयोगी दवाइयों की किल्लत है. वही धार में ईएनटी सर्जन भी नहीं है, जिसके कारण दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. जिला प्रशासन द्वारा दो निजी चिकित्सको से संपर्क भी किया गया है. वहीं स्वास्थ्य विभाग पूर्ण रूप से इंदौर पर ही निर्भर है. जिला प्रशासन धार में भी वैकल्पिक व्यवस्था करने में जुटा है.

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