धार। धार जिले के जिलवारा गांव की तस्वीरें देखकर आप खुद ही इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं, कि जिले में नौनिहालों को शुरुआती शिक्षा देने वाले महिला बाल विकास विभाग का क्या हाल है. कहने को तो इस गांव में 35 साल पहले आंगनबाड़ी केंद्र खुला था. लेकिन बच्चों को बैठने के लिए 35 साल बाद भी भवन नहीं बना है. जो शासन-प्रशासन की उदासीनता का जीता जागता उदाहरण है.
कैसे होगा नौनिहालों का विकास, जब 35 साल बाद भी नहीं बना आंगनबाड़ी भवन
धार जिले के जिलवारा गांव में 35 साल बात भी आंगनबाड़ी भवन नहीं बन सका है. जिससे बच्चों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और ग्रामीणों का कहना है, कि वह शासन और प्रशासन दोनों को कई बार शिकायत कर चुके हैं. लेकिन आंगनबाड़ी भवन नहीं बना.
खास बात यह है कि जिलवारा गांव धार सांसद छतर सिंह दरबार के गृह पंचायत बोदरपुरा के अंर्तगत आता है. लेकिन फिर भी यहां एक आंगनबाड़ी केंद्र तक नहीं बन सका. ऐसा नहीं है कि ग्रामीणों ने भवन के लिए कभी आवाज नहीं उठाई हो. ग्रामीणों से लेकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता तक भवन के लिए कई बार प्रशासन के दरवाजे खटखटा चुके हैं. लेकिन नतीजा ढाग के तीन पात ही नजर आया.
कहने को तो महिला बाल विकास विभाग नौनिहालों के लिए लाखों रुपए खर्च करती है. लेकिन जब आंगनबाड़ी भवन ही न बनाया जा सके, तो फिर इसे शासन और प्रशासन की लचरता ही कहा जाएगा. जिलवारा गांव मे आंगनबाड़ी भवन न बच्चों को हर दिन परेशानियों का सामना करना पड़ता है. अब आंगनबाड़ी भवन न बनने के पीछे वजह जो भी हो, लेकिन विकास की यह धीमी रफ्तार धार जिले को कितना आगे ले जाएगी यह एक बड़ा सवाल है.