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कृषि बिल का युवा किसान संगठन ने किया विरोध, बिल में संशोधन कराने की अपील

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Published : Oct 5, 2020, 1:28 AM IST

केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए तीनों कृषि बिल का युवा किसान संगठन ने विरोध किया. साथ ही प्रेसवार्ता कर कृषि बिल से होने वाले नुकसान को लेकर चर्चा की .

Young farmers organization opposed the agriculture bill
कृषि बिल का युवा किसान संगठन ने किया विरो

देवास। युवा किसान संगठन के पदाधिकारियों ने केन्द्र सरकार द्वारा लागू किए गए किसान बिलों से देश के किसानों को होने वाली समस्या एवं नुकसान को लेकर चर्चा की. संगठन के जिला प्रभारी विकास चौधरी ने कहा कि उन्होंने विस्तृत में इन तीनों कानूनों का अध्ययन किया है और यह तीनों कानून एक तरफा है व एक वर्ग विशेष को को फायदा पहुंचाने की दृष्टि से बनाए गया है.

कृषि बिल का युवा किसान संगठन ने किया विरो

अगर कानून में संशोधन नहीं किया गया तो दो से तीन साल में किसानों का भविष्य खतरें में आ जाएगा. युवाओं से अपील की है कि वह अपने जनप्रतिनिधियों से बात करें व इन कानूनों में किसान हित में एमएसपी न्यूनतम समर्थन मूल्य का आवश्यक शर्त जुड़वाएं. वह देश के जन-जन व किसानों का हित सुनिश्चित करें.

संगठन अध्यक्ष रविंद्र चौधरी ने कहा कि पहला किसान विरोधी कानून जो कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य विधेयक 2020 है। इस कानून का उद्देश्य पूर्ण रूप से एपीएमसी एक्ट 1950 के मूल स्वरूप को कमजोर करना है व मंडियों को समाप्त करना है, क्योंकि अब तक मंडी समिति किसान की फसल को बिकवाने व बेची गई फसल का भुगतान करवाने के लिए जवाबदेह होती थी, क्योंकि इस विधेयक से अब व्यापारी पूरे देश भर में से बगैर किसी लाइसेंस के माल खरीद पाएगा. इससे मंडी समितियों व अन्य किसी भी संस्था की किसानों की फसल का भुगतान करवाने की कोई जवाबदेही नहीं होगी.

दूसरा कानून आवश्यक वस्तु संसोधन अधिनियम 2020 है. इस अधिनियम में संशोधन करके सरकार ने एक तरीके से खाने-पीने की आवश्यक सामग्री जैसे गेहूं, दाल, चावल, तेल, आलू, टमाटर, प्याज जैसी सामग्री को कालाबाजारी करने की खुली छूट दे दी है. जिसके चलते देश के चुनिंदा व्यापारी इसे खरीदकर अपने पास अनिश्चित मात्रा अनिश्चित समय के लिए स्टॉक कर पाएंगे. अपने मनमाने दाम पर बेच पाएंगे. जिस पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं होगा. तीसरा कानून मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान समझौता अध्यादेश है. इस कानून में व्यापारियों को छूट दी गई है कि वह कौन से क्षेत्र में कौन सी फसल की खेती करवाएंगे, कितनी मात्रा में करवाएंगे, किस भाव में खरीदी करेंगे व कब खरीदी करेंगे. उपरोक्त दी हुइ सारी बातों का वर्णन एक अनुबंध में होगा.

किसान इस अनुबंध को करने के लिए आने वाले समय में मजबूर हो जाएगा क्योंकि उसकी फसल को एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर खरीदने की सुनिश्चितता का कानून ना होने की वजह से बड़े उद्योगपतियों के साथ अपनी फसल का करार करने के लिए मजबूर होगा.

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