देवास। कोरोना वायरस की लड़ाई पूरा देश लड़ रहा है. लोगों के सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लॉकडाउन किया है. जिसके बाद शहरी क्षेत्रों में बदलाव आया है, लेकिन ग्रामीण लोगों की दिनचर्या में ज्यादा बदलाव नहीं आया है क्योंकि गांव के लोग सुबह से ही अपने काम में व्यस्त हो जाते हैं. कुछ लोग महुआ के फूल बीनने चले जाते हैं तो कुछ अन्य कामों में व्यस्त हो जाते हैं. जिसमें ग्रामीण इलाकों के बच्चे भी अपनी परीजनों का साथ दे रहे हैं. इसलिए कह सकते हैं कि भारत में लॉकडाउन का असर ग्रामीण क्षेत्रों में भी देखा जा सकता है लेकिन शहरी क्षेत्र की अपेक्षा गांव की दिनचर्या में ज्यादा बदलाव नहीं आया है.
ग्रामीण क्षेत्रों में लॉकडाउन बेअसर! पहले जैसी है ग्रामीणों की दिनचर्या - Social Distancing
कोरोना वायरस की लड़ाई पूरा देश लड़ रहा है. लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री ने लॉकडाउन घोषित किया है, जिसके बाद शहरी क्षेत्रों में बदलाव आया है, लेकिन ग्रामीणों की दिनचर्या में ज्यादा बदलाव नहीं हुआ है.
बच्चों की बात की जाए तो परीक्षा चलते-चलते लॉकडाउन घोषित हो गया है, जिसके कारण बच्चों की परीक्षाएं भी अधूरी रह गई हैं. अब उनमे संशय बना है कि परीक्षा फिर से होगी या अगली कक्षा में प्रवेश दिया जाएगा. ग्रामीण क्षेत्र में बच्चों की दिनचर्या की बात की जाए तो 10वीं के छात्र जयेश परमार का कहना है कि कोरोना बहुत खतरनाक वायरस है और शारिरिक दूरी बनाने के साथ मुंह पर मास्क और बार-बार साबुन से हाथ धोकर इससे बचा जा सकता है. जब इनसे इनकी दिनचर्या में हुए बदलाव की बात की तो बताया कि लॉकडाउन के बाद से घर से बाहर निकलने पर रोक लगी तो घर मे टीवी एवं कैरम, अष्टा-चंगा, खो-खो आदि खेलों के माध्यम से समय व्यतीत कर रहे हैं.
अगर गरीब परिवार के बच्चों की बात की जाए तो उनके लिए लॉकडाउन मानो है ही नहीं क्योंकि ये बच्चे हर समय अपने माता पिता के कामों में हाथ बंटाते हैं. कई बच्चे घरेलू कामों में व्यस्त दिखाई देते हैं तो कई रोजी रोटी के लिए जंगल में महुए के फूल बीनने में व्यस्त हैं. रोजाना सुबह करीब 4 बजे अपने माता पिता के साथ जंगल में जाकर महुए के फूल बीनकर सुबह 10 बजे तक घर आते हैं. इसलिए कहा जा सकता है कि ग्रामीण क्षेत्र में बच्चों के लिए लॉकडाउन का खास असर नहीं दिखाई नहीं दे रहा है.