देवास। जिले के रहने वाले रवि बारीक 2008 से बच्चों को फुटबॉल सीखा रहे हैं. रवि ने बच्चों के लिए किट और जूते जुटाए और आज 150 बच्चों को नियमित फुटबॉल की ट्रेनिंग निशुल्क दे रहे हैं.
2008 से बच्चों को फुटबॉल ट्रेनिंग दे रहे रवि, ऐसे बदली बच्चों की किस्मत - One hundred and fifty children are being trained
देवास। जिले के रहने वाले रवि बारीक 2008 से बच्चों को फुटबॉल सीखा रहे हैं. रवि ने बच्चों के लिए किट और जूते जुटाए और आज 150 बच्चों को नियमित फुटबॉल की ट्रेनिंग निशुल्क दे रहे हैं.
11 साल के सफर में फुटबॉल की फिटनेस से एक बच्चा इंडियन नेवी तो एक बच्चा इंडियन आर्मी में जबकि दो बच्चे राष्ट्रीय फुटबॉल प्रतियोगिता में भाग ले चुके हैं. प्रतिवर्ष दर्जनों बच्चे प्रदेश स्तर पर फुटबॉल टीम का हिस्सा बनते हैं, खेल एवं युवा कल्याण विभाग और अन्य सरकारी मदद से फुटबॉल खिलाड़ियों सुविधाओं का लाभ भी मिल रहा है.10 वर्षों से बागली में 3 दिवसीय प्रतियोगिता का आयोजन जनसहयोग से किया जाता जो उत्सव जैसा होता है.
रवि बारीक ने बताया कि आदिवासी लड़कियों को फुटबॉल खेलने के लिए तैयार करना कठिन चुनौती थी, वही मोबाइल से जुड़े बच्चो को मैदान तक लाना बहुत परेशानी भरा था. रवि और उसकी पत्नी घर-घर बच्चों के माता-पिता को समझाइश के बाद ग्राउंड चलाना महत्वपूर्ण था.