कपास की खेती से परेशान किसान, सरकार से भी नहीं मिल रही है मदद - dewas news
कपास की खेती छोड़ सोयाबीन और गेहूं की खेती करने को अब किसान मजबूर हो रहे हैं. वहीं सरकार की ओर से भी कपास की खेती के लिए किसानों को कोई मदद नहीं मिल रही है.
देवास। जिले की कन्नौद तहसील में सैकड़ों हेक्टेयर कृषि भूमि पर कपास की खेती की जाती थी, लेकिन अब किसानों ने कपास की खेती से मुंह मोड़कर सोयाबीन, गेहूं और चने को अपना लिया है. कपास की खेती तीन गांवों हतलाय, खेरी और मवाड़ा तक ही सीमित हो गई है.
किसान कपास की खेती इसलिए भी नहीं कर रहे हैं, क्योंकि इसकी खेती के लिए सरकार किसी तरह की कोई मदद नहीं दे रही है. किसान ने बताया कि अन्य फसल की तुलना में हमारी जमीन के लिए कपास की फसल ही उपयुक्त मानी जाती है, क्योंकि इस जमीन में सोयाबीन का उत्पादन प्रति एकड़ दो से 3 क्विंटल होता है, जबकि 1 एकड़ जमीन पर करीब 3 से 4 क्विंटल कपास का उत्पादन हो सकता है और बाजार में सोयाबीन से ज्यादा भाव में कपास बिकता है.
हालांकि कपास की खेती में लागत ज्यादा है, फिर भी सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी नहीं होने से कपास की फसल पर जोर दिया जा रहा है. एक एकड़ जमीन पर 400 ग्राम कपास के बीज लगाने से एक एकड़ में करीब 10 हजार की लागत लगती है और उत्पादन 3 से 4 क्विंटल प्रति एकड़ होता है और सरकार की तरफ से कपास की खेती में कोई सहायता नहीं मिलती है.