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नाथूलाल की जुबानी, महापुरुषों की कहानी, आप भी सुनिए एक-से-बढ़कर एक सुरीले भजन

देवास के भजन गायक नाथूलाल शहर और गांव में रोजाना गली-गली पैदल घूमकर अपने हाथों से बनी सारंगी को बजाते हुए भिक्षा मांगते हैं. उनका भजन सुनकर लोग मंत्रमुग्ध हो जाते हैं, लेकिन अफसोस कि ऐसे कलाकार को भिक्षा मांगकर गुजारा करना पड़ रहा है और वे गुमनामी के अंधेरे में जीने को मजबूर हैं.

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Published : Aug 27, 2019, 12:47 PM IST

Updated : Aug 27, 2019, 2:10 PM IST

आप भी सुनिए सुरीले भजन

देवास। भजन गायक नाथूलाल शहर और गांवों में रोजाना गली-गली पैदल घूमकर अपने हाथों से बनी सारंगी को बजाते हुए भिक्षा मांगते हैं. देवास के नाथूलाल उज्जैन के राजा भर्तृहरि की कहानी, मालवा क्षेत्र में लोकप्रिय तेजाजी, कबीर पंथी निर्गुणी भजन, रामायण चौपाल और अन्य भजनों, कीर्तनों और गानों को गाते हुए भिक्षा मांगते हैं.

आप भी सुनिए सुरीले भजन

भजन गायक नाथूलाल पिछले 20-25 सालों में मध्यप्रदेश सहित राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों में अपने सुरीले भजनों की प्रस्तुति दे चुके हैं, लेकिन आज तक किसी बड़े स्टेज पर अपनी कला की प्रस्तुति देने का मौका उन्हें नहीं मिला है. भजन गायक नाथूलाल की आवाज जब लकड़ी से बनी सारंगी से साज छेड़ते हुए सुनाई देती है, तो सुनने वाला हर व्यक्ति मंत्रमुग्ध हो जाता है.

नाथूलाल ने बताया कि उन्हें भोपाल दूरदर्शन में अपनी प्रस्तुति देने के लिए बुलाया तो गया था, लेकिन वे पारिवारिक कारणों के चलते जा नहीं पाए थे. नाथूलाल की सुरीली आवाज के दीवाने लोग उन्हें बदले में इनाम के रूप में कुछ पैसे, आटा और अन्य खाद्य सामग्री दे देते हैं, जिससे नाथूलाल अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं. दुःख तो इस बात का है कि कला के धनी नाथूलाल को पहचान नहीं मिल सकी और ये नायाब कलाकार गुमनामी में जीने को मजबूर हैं.

Last Updated : Aug 27, 2019, 2:10 PM IST

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