देवास। तीन तलाक के खिलाफ कठोर कानून बनने के बाद भी इस तरह के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. देवास में तीन तलाक का मामला नया मामला सामने आया है. महिला को उसके पति ने तीन बार तलाक बोलकर छोड़ दिया. पीड़िता ने कोतवाली थाना पहुंचकर इंसाफ की गुहार लगाई.
पति ने पत्नी को दिया तीन तलाक 'पति के नाजायद संबंध हैं'
पीड़िता का आरोप है कि उसके पति आमिर के किसी और लड़की से नाजायज संबंध हैं. जिसके चलते आमिर मुझसे आए दिन मारपीट करता था. दहेज की मांग करता था. जब इसका विरोध किया तो उसने तीन बार तलाक बोलकर छोड़ दिया.
'ससुर दिखाता है वर्दी की धौंस'
पीड़िता ने बताया कि आमिर का पिता नासिर खान पुलिस में पदस्थ है. वो धमकी दे रहा था कि उसके उच्च अधिकारियों से संपर्क हैं. वो अपने बेटे को छुड़वा लेगा. पीड़िता ने पुलिस पर भी शिकायत ना लिखे जाने के आरोप लगाए, हालांकि बाद में आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई.
तीन साल पहले हुई थी शादी
पीड़िता ने बताया कि तीन साल पहले ही आमिर खान से उसकी शादी हुई थी. उसका एक बेटा भी है. अब उसका पति किसी और लड़की के साथ रहना चाहता है.
ये भी पढ़ेंःससुर करता था अश्लील हरकतें, पति ने दिया तीन तलाक, पीड़िता ने लगाई इंसाफ की गुहार
एसपी ने कार्रवाई की बात
एसपी डॉ शिवदयाल सिंह ने बताया कि पीड़िता की शिकायत पर आरोपी के खिलाफ मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम, 2019 की धारा (4) व धारा 323 के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है. पुलिस मामले की जांच कर रही है. सभी तथ्यों की जांच के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी.
कानूनी प्रावधान
- महिला अधिकार संरक्षण कानून 2019 के मुताबिक एक समय में तीन तलाक देना अपराध है.
- मौखिक, लिखित या किसी अन्य माध्यम से पति अगर एक बार में अपनी पत्नी को तीन तलाक देता है तो वह अपराध की श्रेणी में आएगा.
- तीन तलाक देने पर पत्नी खुद या उसके करीबी रिश्तेदार ही इस बारे में केस दर्ज करा सकेंगे.
- पुलिस बिना वारंट के तीन तलाक देने वाले आरोपी पति को गिरफ्तार कर सकती है.
- एक समय में तीन तलाक देने पर पति को तीन साल तक कैद और जुर्माना दोनों हो सकता है.
- मजिस्ट्रेट कोर्ट से ही पति को जमानत मिलेगी.
- मजिस्ट्रेट बिना पीड़ित महिला का पक्ष सुने बगैर तीन तलाक देने वाले पति को जमानत नहीं दे पाएंगे.
- तीन तलाक देने पर पत्नी और बच्चे के भरण पोषण का खर्च मजिस्ट्रेट तय करेंगे, जो पति को देना होगा.
- तीन तलाक पर बने कानून में छोटे बच्चों की निगरानी और रखावाली मां के पास रहेगी.
- इस कानून में समझौते के विकल्प को भी रखा गया है. पत्नी चाहे तो इसके लिए पहल कर सकती है. लेकिन मजिस्ट्रेट की भूमिका भी महत्वपूर्ण है.