दतिया।हाल ही में इंदरगढ़ में भारी बारिश के बाद लोगों के घरों में पानी भर गया था. लोहपीटा समाज की झोपड़ियों भी इसकी चपेटे में थी जिससे उन्हे लगातार परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. गीली जमीन पर सोना दूभर है तो घर के कामकाज भी कीचड़ में निपटाना पड़ता है. इस समाज के लोगों को सोने के लिए खाली जमीन भी मय्यसर नहीं. ऐसे में परेशान एक बेटा और एक बेटी ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से भावुक अपील की है और कहा कि मामाजी हमारी टपरियों में पानी भर गया है. पानी भरने से हमारी झोपड़ियों में सांप बिच्छू निकलते हैं. हमें भी घर दिला दो न मामाजी, प्लीज....
बेटी की भावुक अपील पर मंत्री ने क्या बोला: बेटी की इस अपील को लेकर दतिया के प्रभारी मंत्री एवं मध्य प्रदेश शासन के लोक निर्माण राज्यमंत्री सुरेश धाकड़ से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मैंने वीडियो देख लिया है. बेटी ने भावुक अपील की है. मैं दतिया दौरे पर बेटी के घर जाऊंगा. बच्ची की अपने मामा से की गई गुहार व्यर्थ नहीं जाने दूंगा. बेटी और बेटे के लिए आवास स्वीकृत करने के निर्देश कलेक्टर को दे दिए गए हैं. वह बच्चों की झोपड़ी पर जाएंगे और प्रशासनिक अमले को निर्देश देकर उन्हें प्रधानमंत्री आवास के तहत घर दिलवाएंगे.
यह है मामला:कच्चे झोपड़ी बनाकर रह रहे लोहापीटा परिवार को अब तक प्रधानमंत्री आवास योजना (PM Awas Yojana Madhya Pradesh) का लाभ क्यों नहीं मिल पाया. इसकी जांच शुरू हो गई है. तहसीलदार सुनील भदौरिया ने बताया है कि राजस्व विभाग ने 28 नवंबर 2022 को अपने पत्र क्रमांक क्यु/ री_1/तह./2022को नगर परिषद इंदरगढ़ कार्यालय को मौजा इंदरगढ़ के सर्वे क्रमांक 567रकवा 1.820 हेक्टेयर भूमि पट्टे के लिए सौंप दी थी. आगे की कार्रवाई नगर परिषद को करनी थी. कहां कमी रह गई है ये विषय नगर परिषद इंदरगढ़ का है."
नगर परिषद ने बनाई है तीन डीपीआर:नगर परिषद इंदरगढ़ ने आवासहीन परिवारों का सर्वे करवाया. उसके बाद पहली और दूसरी डीपीआर में 597 परिवार चिह्नित किए. जिनके पास पक्का मकान नहीं था या वे बिना आवास के अपने परिजनों के साथ रहते थे, वे सभी आवासहीन हितग्राहियों को जिनकी परिवार आईडी अलग-अलग थी और सर्वे जांच में पात्र होना पाया गया. उन सभी 597 परिवारों को आवास स्वीकृत कर उनके खाते दो लाख पचास हजार रुपए डाले गए हैं. इनमें कुछ परिवार ऐसे भी हैं जिन्होंने दो किस्त लेने के बाद अपने प्रधानमंत्री आवास पूरा नहीं किए. उन परिवारों को अंतिम किस्त पचास हजार रुपए नहीं दी गई है. कुछ परिवार को पहली किस्त एक लाख रुपए तो दिए गए हैं लेकिन दूसरी किस्त नहीं दी गई है जिसका आवास का कार्य शुरू नहीं किया गया है.
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