रबी का सीजन शुरु लेकिन खाद की भीषण किल्लत से किसानों की मुसीबत, एमपी के कई इलाकों में बुवाई पर मंडराया संकट - एमपी की न्यूज
Fertilizer Shortage in Madhya Pradesh: एमपी में इन दिनों रबी की फसलों का सीजन शुरू हो गया है. लेकिन किसानों के लिए खाद की समस्या विकराल रूप से बनकर खड़ी हुई है. दतिया समेत कई इलाकों में किसानों को खाद नहीं मिल पा रही है. इसी समस्या को देखते हुए, सीएम ने कल समीक्षा बैठक भी की है.
दतिया।रबी फसल की बुवाई का सीजन शुरू होते ही मध्य प्रदेश में खाद की दिक्कतें भी शुरू हो गई है. दतिया, छतरपुर, नर्मदापुरम, समेत मप्र के कई जिलों में किसानों को खाद नहीं मिल पा रही है. आलम यह है कि सहकारी खाद वितरण और समिति केंद्रों पर किसान लंबी लंबी कतारों में घंटों इंतजार करते देखे जा रहे हैं. वहीं, खाद संकट पर सियासत भी खूब हो रही है.
आलम ये है कि छतरपुर, दतिया, और हरदा में इनकी समस्या एक ही है. किसानों को कई घंटों से लंबी- लंबी लाइनों में खड़ा होना पड़ रहा है. खाद लेने के लिए अपनी बारी का इंतज़ार कर रहे हैं. कहीं यूरिया खत्म हो गया तो कहीं रैक नहीं आई है. साथ ही कहीं सहकारी समिति की दुकान से कर्मचारी ही नदारद हैं. मप्र में रबी की बुआई का सीजन चल रहा है. लेकिन किसान इस वक्त सबसे ज्यादा जरूरी यूरिया और डीएपी के लिए भटक रहा है.
एमपी में खाद की उपलब्धता और वितरण कितना:अगर मप्र में खाद की उपलब्धता और वितरण पर नजर डालें तो, यहां 81 लाख 71 हजार हेक्टेयर में रवि की फसल होती है. पिछले साल की तुलना में इस बार गेहूं की फसल का रकबा 5.33 फीसदी बढ़ने का अनुमान है. पूरे सीजन में 27-28 लाख टन खाद की आवश्यकता होती है. इसमें यूरिया और डीएपी मुख्य रूप से शामिल है.
सीएम ने की समीक्षा बैठक: हाल ही में मप्र के छतरपुर में प्रशासन ने एक व्यापारी के गोदाम और एक अन्य दुकान से उत्तर प्रदेश की सील लगा हुआ सैकड़ों बोरी खाद जब्त किया था. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को भोपाल में खाद वितरण की समीक्षा करते हुए किसानों को किसी तरह की दिक्कत न आने देने के निर्देश दिये हैं. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के तमाम निर्देशों के बावजूद किसानों की परेशानी विपक्ष को मौका दे रही है, तो वहीं बीजेपी जल्द ही व्यवस्थाएं दुरुस्त करने का दावा कर रही है.
बता दें, इफको ने 2023 के लिए यूरिया 45 किलो की बोरी के लिए 266 और डीएपी के 50 किलो बैग के लिए 1350 रूपये निर्धारित किए हैं. लेकिन सहकारी केंद्रों पर खाद की दिक्कत कहीं न कहीं कालाबाजारी को भी बढ़ावा दे सकती है. बेशक मप्र के पास खाद की कोई कमी नहीं, लेकिन जरूरत इस बात की है कि खाद के वितरण को दुरूस्त कर वक्त पर किसानों को खाद पहुंचाया जाए.