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Devshayani Ekadashi 2023: नगर भ्रमण पर निकले बालाजी महाराज, ढोल-नगाड़ों के साथ उन्नाव में निकाली गई भव्य रथ यात्रा

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Published : Jun 30, 2023, 8:18 AM IST

Aashadhi Ekadashi 2023: आषाढ़ी देवशयनी एकादशी के मौके पर दतिया के उन्नाव में बालाजी महाराज रथ यात्रा के दौरान नगर भ्रमण पर निकले, जहां पूरे शहर में ढोल नगाड़ों के यात्रा का स्वागत किया गया.

Devshayani Ekadashi 2023
आषाढ़ी देवशयनी एकादशी

दतिया।बुंदेलखंड का धार्मिक स्थल और दतिया जिले में स्थित ऐतिहासिक उनाव में बालाजी सूर्य महाराज आषाढ़ी देवशयनी एकादशी पर नगर भ्रमण पर निकले. देर रात तक उनकी रथ यात्रा नगर के द्वार द्वार होते हुए भक्तों की दर्शन देती चली, आतिशबाजी और श्रद्धा का अनूठा समागम लिए भगवान भास्कर की ये यात्रा प्रति वर्ष की तरह ही भक्तों के बीच पहुची जहां श्रद्धालुओं ने अपने श्रद्धेय बालाजी की पूजा अर्चना कर स्वागत किया.

आषाढ़ी देवशयनी एकादशी पर नगर भ्रमण पर निकले बालाजी महाराज

क्या है मंदिर की मान्यता:दतिया जिला मुख्यालय से 17 किलोमीटर दूरी पर स्थित उनाव बालाजी सूर्य मंदिर धाम बुंदेलखंड में ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व रखता है. ऐतिहासिक होने के साथ साथ यह स्थान प्राचीन भी है. यहां मान्यता है कि अगर कोई रोगी यहां आकर पहुज नदी में स्नान करने के बाद मंदिर में स्थित सूर्य देव की प्रतिमा पर आचमन (जल चढ़ाना) करता है तो उसे असाध्य रोगों से भी मुक्ति मिल जाती है. जिसके चलते प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु यहां दर्शन को आते हैं.

आषाढ़ी देवशयनी एकादशी पर नगर में निकली रथ यात्रा

रथ यात्रा की परंपरा:इस मंदिर की मान्यता के अलावा एक परंपरा भी है जो बीते सैकड़ों वर्षों से आज तक निभाई जा रही है. इसी के तहत गुरुवार को बालाजी सूर्य महाराज की रथ यात्रा पूरे नगर में निकली गई, शाम करीब 5 बजे शुरू हुई यात्रा नगर के प्रत्येक द्वार से होकर गुजरी और भक्तों को आशीर्वाद प्रदान किया. वहीं भक्तों ने भी जगह-जगह अपने सामर्थ्य अनुसार भगवान भास्कर का भव्य स्वागत किया. इसके बाद देर रात 12 बजे हवेली प्रांगण में पहुंची, इस दौरान भव्य आतिशबाजी के साथ रथ यात्रा का समापन किया गया.

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कुशलता पूर्वक संपन्न हुई रथ यात्रा:मंदिर के पुजारी श्याम पंडित ने बताया कि "मान्यता है कि प्रतिवर्ष आषाढ़ी देवशयनी एकादशी(Devshayani Ekadashi 2023) पर भगवान बालाजी भास्कर 4 माह के लिए सोने अपने घर चले जाते हैं. लेकिन उससे पहले वे रथ पर सवार होकर पूरे नगर का भ्रमण करते हैं और अपने भक्त और नगरवासियों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं. भगवान भास्कर के सूर्ययंत्र को रथ में ठीक 5 बजे वैदिक मंत्रोच्चार के बीच आरूढ़ किया जाता है. रथ में सवार भगवान के रथ की बारात आती है, तो वहीं श्रद्धालुओं में रथ खींचने के लिए होड़ नज़र आती है. यह पूरी यात्रा स्थानीय पुलिस बल की देखरेख में निकाली जाती है, जो इस वर्ष भी कुशलता पूर्वक संपन्न हुई."

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