वाहनों की लंबी लाइन. थका देने वाला इंतजार. मंजिल तक पहुंचने की जल्दी. गर्मी का मौसम हो तो पसीना पसीना. लेकिन टैक्स चुकाए बिना आगे जाना मुमकिन नहीं. और टोल टैक्स देने के लिए कई बार घंटों तक गाड़ियों के पहिए जाम हो जाते. ये हालात होते थे टोक नाकों पर कुछ महीनों पहले. अब जमाना हाईटेक हो गया है. अब आप जाइए टोक नाकों पर.नजारा बदला बदला सा है. ना गाड़ियों की लंबी लाइनें मिलेंगी. ना अपनी बारी का लंबा इंतजार. मंजिल भी थोड़ा पास हो गई. ऐसा इसलिए है, क्योंकि अब टोल की हर समस्या करने वाला आ गया है, यानि फास्टैग आ गया है. फास्टैग स्कीम भारत में सबसे पहले साल 2014 में शुरू हुई थी. जिसे धीरे धीरे पूरे देश के टोल प्लाजा पर लागू किया जा रहा है.
दतिया टोल प्लाजा का रियलिटी चेक
मध्यप्रदेश के दतिया जिले के एमपी-यूपी बॉर्डर पर डगरई के पास लगाया गया है. लोगों को उम्मीद थी वाहन चालकों की परेशानियां कम हो जाएंगी. क्या फास्टैग से लोगों को वाकई राहत मिली है, समय बच रहा है या नहीं, खुल्ले पैसों का झंझट कम हुआ या नहीं . लोगों की तकलीफें कितनी कम हईं, ये जाना ईटीवी भारत ने. रियलिटी चेक में सामने आया कि फास्टैग से सभी खुश हैं. वाहन चालक खुश हैं क्योंकि अब लंबी लंबी लाइनें नहीं हैं.उनका समय बच रहा है, टोलकर्मी खुश हैं क्योंकि लोगों से आए दिन होने वाली तू-तू-मैं-मैं अब नहीं होती. कुल मिलाकर सब शांति. ये जरूर है कि अभी सभी ने फास्टैग नहीं लगवाया है.
क्या होता है फास्टैग?