दतिया। 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान काले धन के इस्तेमाल करने के मामले में CBDT (केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड) की रिपोर्ट में नाम आने के बाद कांग्रेस विधायक घनश्याम सिंह ने इसे द्वेषपूर्ण राजनीति बताया है. उनका कहना है कि मैंने एक स्कॉर्पियो गाड़ी 12 लाख रुपए की खरीदी थी, क्योंकि मेरी आय इतनी है. उसका भी ब्यावरा नोटिस आने से पहले ही मैं दे चुका हूं, लेकिन फिर से मेरा नाम इस लिस्ट में शामिल है.
पीएम मोदी पर साधा निशाना कांग्रेस विधायक घनश्याम सिंह ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि बीजेपी के लोगों की जांच क्यों नहीं हो रही है. उनका कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में संस्थाओं में काफी गिरावट आई है. फिर चाहे वह निर्वाचन आयोग हो या इनकम टैक्स हो. सब केंद्र सरकार की गुलाम बन गई है. केंद्र सरकार के इशारे पर चुनाव आयोग ने इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को खिला था कि जितने कांग्रेस उम्मीदवार विधानसभा चुनाव में खड़े हुए थे उनके द्वारा दिए गए संपत्ति के ब्यावरा का मिलान किया जाए. उनका कहना है कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से मुझे नोटिस आया था. जिसका मैंने जवाह दे दिया है.
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'बीजेपी नेताओं पर क्यों नहीं होती कार्रवाई'
वहीं कांग्रेस छोड बीजेपी में शामिल हुए नेताओं का नाम आने पर विधायक घनश्याम सिंह ने कहा कि आज वह बीजेपी वाले हो गए है. इसलिए उनके नाम आए है, अगर वह पहले से बीजेपी वाले होते को उनके नाम कभी नहीं आते. उनका कहना है कि मैंने 2015 में जमीन बेची थी. इसलिए मैंने स्कॉर्पियो गाड़ी खरीदी थी. मेरा इस कार्रवाई से कुछ लेना देना नहीं फिर पता नहीं क्यों मेरा नाम इस सूची में आया है. हालांकि उनका कहना है कि जवाब देने को तैयार हूं.
क्या है मामला?
साल 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान दिल्ली आयकर विभाग की टीम ने भोपाल समेत 52 ठिकानों पर छापामार कार्रवाई की थी. जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के करीबी प्रवीण कक्कड़ आरके मिगलानी और भांजे रतुल पुरी समेत कारोबारी अश्विनी शर्मा शामिल थे. इन 52 ठिकानों से आयकर विभाग की टीम ने कई दस्तावेज और फाइलें जब्त की थी जिनकी बारीकी से जांच कर सीबीडीटी ने चुनाव आयोग को एक रिपोर्ट भेजी है और इस रिपोर्ट के आधार पर पोल कैश मामले में एफ आई आर दर्ज कर जांच करने की बात कही है.
आयकर विभाग ने 14 करोड रुपए की बेहिसाब नकदी, डायरियां, कंप्यूटर और फाइलें जब्त की थीं. इन्ही दस्तावेजों में करोड़ों रुपए के लेनदेन का हिसाब दर्ज था. दस्तावेजों में यह प्रमाण भी मिला कि 20 करोड़ रुपये की राशि एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल के दिल्ली स्थित मुख्यालय भेजी गई. इन छापों में कुल 281 करोड़ रुपए के लेनदेन का पुख्ता प्रमाण आयकर विभाग को मिला है. यह रुपए अलग-अलग कारोबारी नौकरशाहों और राजनीतिज्ञों से एकत्र किया गया था और हवाला के जरिए दिल्ली तुगलक रोड स्थित राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टी के मुख्यालय भेजा गया.