दमोह। प्रधानमंत्री आवास योजना से अब धीरे-धीरे लोगों का विश्वास खत्म होता जा रहा है, जिसका मुख्य कारण ग्रामीण क्षेत्रों में प्रतिनिधि सरपंच का गैरजिम्मेदाराना रवैया है. सिर्फ इतना ही नहीं प्रशासनिक अधिकारी सचिव द्वारा ग्रामीण स्तर की समस्याओं को सिरे से दरनिकार कर दिया जाता है. यहीं वजह है कि करीब 1 हजार 200 की आबादी वाले जगथर ग्राम पंचायत में महज 5 प्रधानमंत्री आवास निकले है. वह भी तब जब कुछ राशि सरपंच-सचिव को दे दी गई, जिसकी जानकारी ग्रामीणों द्वारा बताई गई.
ग्रामीणों को नहीं मिला मजदूरी का पैसा प्रधानमंत्री आवास की सूची में नाम आने के बाद भी वर्षों से जगथर गांव के लोग केवल इंतजार कर रहे हैं. दिव्यांग उर्मिला ने बताया कि, नाम सूची में होने के बावजूद भी अभी तक आवास की राशि नहीं आई है. वहीं ग्रामीण कुसुमरानी ने बताया कि, न हमें शौंचालय का लाभ मिला और न ही प्रधानमंत्री आवास का. इसको लेकर सचिव से शिकायत भी की गई, मगर कुछ नहीं हुआ. ग्रामीण तेजाबाई ने बताया कि केवल एक छोटी सी झोपड़ी में जीवन व्यतित करने को मजबूर है, जहां न तो घर है और न ही शौंचालय.
जगथर पथरिया जनपद अंतर्गत आने वाली बड़ी पंचायतों में से एक है, लेकिन यहां सरपंच से लेकर सचिव की मिलीभगत से ग्रामीणजन बेहद निचले स्तर की जिंदगी जीने को मजबूर हैं. समस्याओं से घिरे इस गांव की मुख्य परेशानी जल व्यवस्था न होना है, लेकिन इस ओर ध्यान देने के बजाए सरपंच-सचिव कोई प्रयास नहीं कर रहे हैं.
ग्रामीणों ने बताया कि बरसात के बाद करीब 8 माह तक लोग नदियों और कुआं के भरोसे अपनी प्यास बुझा रहे हैं. वहीं सड़क व्यवस्था भी पूरी तरह से चौपट हो गई है, जहां करीब 4 महीने पहले सीसी सड़क का निर्माण कराया गया था, जो बारिश में बह गया. ग्रामीण क्षेत्रों में पिछड़ेपन की मुख्य वजह जिम्मेदार आधिकारियों की लापरवाही और भ्रष्टाचार की नीति है.
जगथर पंचायत अंतर्गत मढिया गांव में करीबन 25 लोगों को आवास योजना का लाभ मिला है, लेकिन इस योजना के तहत मिलने वाली मजदूरी की राशि ग्रामीणजन को नही दी गई है. ग्रामीण चूरामन आदिवासी ने बताया कि, उन्होंने खुद की लागत से मजदूरी चुकाई है. उनके खाते में किसी तरह की राशि नहीं डाली गई है. केवल 3 किस्तों में राशि आई है. उन्होंने कहा कि, मढ़िया गांव निवासी ग्रामीणों को राशन लेने के लिए पंचायत मुख्यालय जाना पड़ता है, जो यहां से करीब 3 किलोमीटर दूर है. इसलिए ग्रामवासियों की मांग है कि, राशन दुकान अलग से मढ़िया गांव में ही खोली जाए, ताकि लोगों को राशन के लिए दर-दर भटकना न पड़े.