दमोह।बेन समाज द्वारा सिंगौरगढ़ किले को बेन राजा का बताए जाने के विरोध में आज गोंड समाज के हजारों लोग कलेक्ट्रेट पहुंचे. इसके बाद गोंड समाज के लोगों ने जमकर नारेबाजी करते हुए अपना विरोध प्रदर्शित किया और कार्रवाई के लिए जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा. दरअसल राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का 7 मार्च को सिग्रामपुर आगमन हो रहा है. ठीक उसके पहले एकाएक सिंगौरगढ़ में बने ऐतिहासिक किले को लेकर आधिपत्य का विवाद भी शुरू हो गया है. मामल इतना पेचीदा हो गया है कि सोमवार को आदिवासी समुदाय के हजारों लोग दमोह पहुंचे और कलेक्ट्रेट में धरने पर बैठ गए. उन्होंने 'रानी दुर्गावती अमर रहे', 'किला हमारा है' नारे लगाकर अपना विरोध दर्ज कराया. इसके साथ ही एक ज्ञापन जिला प्रशासन को सौंप कर कार्रवाई की मांग की. कार्रवाई न होने पर 5 मार्च को चक्काजाम करने तथा राष्ट्रपति के कार्यक्रम के बहिष्कार की चेतावनी दी है.
क्या है मामला
दरअसल अखिल भारतीय बसोर जाति समाज संगठन के जिला अध्यक्ष गंगाराम बसोर ने एक पेंपलेट छपवाया है. इसके साथ ही तमाम बेन समाज के लोगों से 7 मार्च को सिग्रामपुर पहुंचने की अपील की. जिसमें उसने लिखा कि सिंगौरगढ़ का किला बेन राजा द्वारा बनवाया गया था. इसलिए उस किले पर बेन समाज का अधिकार है. इस पेंपलेट के दो साल पहले गंगा रामसिंह ने 2018 में एक आईटीआई भी फाइल की गई थी. जिसमें सिंगौरगढ़ किले की जानकारी सूचना के अधिकार में मांगी गई थी. पेंपलेट में समाज के सभी लोगों से सिंगौरगढ़ के किले को बेन समाज के नाम पर करवाने तथा उस पर से गौंड राजाओं का अधिपत्य खत्म करने संबंधी अपील की गई थी. जिसके बाद यह मामला विवादास्पद हो गया.
कलेक्टोरेट में धरना दिया
बेन समाज द्वारा छपवाए गए पेंपलेट सार्वजनिक होने के बाद सोमवार को गौंडवाना महासभा के बैनर तले हजारों की संख्या में महिलाएं, पुरुष, बच्चे सभी लोग कलेक्ट्रेट पहुंच गए और उन्होंने वहां पर अपना धरना देकर विरोध जताया. समाज का कहना है कि इसके पहले कभी किसी बेन राजा का नाम नहीं आया. लेकिन अचानक से राष्ट्रपति के आगमन की ठीक पहले यह नाम कैसे आ गया, इसकी जांच होना चाहिए. समाज के लोगों का यह भी कहना है कि किला रानी दुर्गावती का है और उन्हीं के नाम से होना चाहिए. यदि ऐसा नहीं हुआ तो वह 5 मार्च को चक्काजाम कर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा और 7 मार्च को महामहिम के कार्यक्रम का बहिष्कार भी करेंगे.