दमोह। जिले में तेजी से बदलते राजनीतिक हालातों के बीच दमोह विधानसभा का उपचुनाव कैसा होगा इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है. जिस तरह से प्रत्याशी की घोषणा के बाद राजनीतिक ध्रुवीकरण हुआ है, और सोशल मीडिया पर युद्ध लड़ा जा रहा है. उससे इतना तो तय हो गया है कि आने वाले समय में घमासान होग. पूरे मामले में अब राजनीतिक दलों के साथ आमजन भी इसमें शामिल हो गए हैं.
- पोस्टर वार में बदल गई लड़ाई
दरअसल दमोह में कांग्रेस से आए बागी नेता राहुल सिंह और बीजेपी के पुराने नेता आपस में भीड़ गए है. दो गुटों में बटी भाजपा के बीच की लड़ाई अंदरूनी न होकर पोस्टर वार में बदल गई है. ऐसे में भला कांग्रेस कार्यकर्ता कैसे पीछे रहने वाले हैं. वह भी इसमें कूद पड़े है. कल तक जो लोग जयंत मलैया का विरोध कर रहे थे, अब वह भी उनके समर्थन में आ गए हैं. अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे कांग्रेस के कार्यकर्ता राहुल सिंह के विरोध में जयंत मलैया का समर्थन कर रहे हैं. इसमें भी कुछ जयंत मलैया के बेटे सिद्धार्थ मलैया को बीजेपी से टिकट का प्रबल दावेदार मान रहे हैं. दूसरी ओर राहुल सिंह के पक्ष में प्रहलाद पटेल के कुनवे से जुड़े लोग भी सक्रिय हैं. जो व्हाट्सएप और फेसबुक पर दिन में कई बार अपडेट दे रहे हैं.
- क्या गुल खिलाएगी जुगलबंदी?
पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया के बेटे सिद्धार्थ मलैया के द्वारा चुनाव के ठीक पहले आशीर्वाद यात्रा निकालना और विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल होना कहीं न कहीं इस बात के संकेत हैं कि वह शांत बैठने वालों में से नहीं है. वह 3 दिन पहले आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के कार्यक्रम में शामिल हुए. जिसमें भारी संख्या में उपस्थित लोगों ने उनका स्वागत किया और अपना संरक्षक भी बना लिया. इसके ठीक 2 दिन बाद यानी सोमवार को कोरोना योद्धाओं के सम्मान समारोह में जिस तरह से युवा नेता अभिषेक भार्गव और सिद्धार्थ मलैया की जुगलबंदी के बीच शक्ति प्रदर्शन और स्वागत समारोह हुआ, उससे संदेश देने की कोशिश की गई है कि अभी भी वक्त है प्रत्याशी बदल दो.