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राशन वितरकों की अब आर या पार की लड़ाई

दमोह में राशन वितरण कर्मचारी अपनी चार सूत्रीय मांगों को लेकर कई दिनों से आंदोलन कर रहे हैं. सरकार द्वारा अब तक कोई कदम नहीं उठाने को लेकर कर्मचारी अब आर या पार की लड़ाई का एलान कर चुके हैं. वहीं सरकार द्वारा कोई कदम नहीं उठाए जाने से कर्मचारियों ने चरणबद्ध तरीके से आंदोलन करने की चेतावनी दी है.

Ration workers strike continues.
राशन कर्मचारियों का हड़ताल जारी.

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Published : Feb 17, 2021, 10:42 AM IST

दमोह।4 सूत्रीय मांगों को लेकर 4 फरवरी से हड़ताल पर बैठे राशन वितरण कर्मचारी अब शासन से आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं. कर्मचारियों का कहना है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वह चरणबद्ध तरीके से आंदोलन करेंगे. आंदोलन कर रहे कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और अपना विरोध दर्ज कराया. जिले में लगभग 480 राशन दुकानें संचालित होती हैं, लेकिन 4 तारीख से किसी भी हितग्राही को एक दाना भी राशन का नहीं मिला है. हड़ताल पर बैठे सभी उपभोक्ता और सहकारी समितियों के कर्मचारी शासन द्वारा दी जा रही राशि से संतुष्ट नहीं हैं. कर्मचारियों का कहना है कि महज 4-5 हज़ार रुपए में परिवार पालना कठिन पड़ रहा है.


ऐसे समझें सिस्टम को

उपभोक्ता भंडार से राशन वितरण करने वाले कर्मचारियों को कमीशन दिया जाता है. जबकि सहकारी समिति के माध्यम से राशन वितरण करने वाले कर्मचारियों को करीब 8 हज़ार 4 सौ रुपए का मासिक वेतन दिया जाता है. लेकिन उनके हाथ में अधिकतम 5 हज़ार रुपए ही पहुंच पाते हैं. उपभोक्ता कर्मचारियों को गेहूं और चावल पर 70 रुपए प्रति क्विंटल, नमक पर 12 पैसे प्रति किलो, शक्कर पर 18 पैसे प्रति किलो और केरोसीन पर 1 रुपए 5 पैसे प्रति किलो की दर से कमीशन दिया जाता है.

उचित मूल्य की दुकानों पर लगा ताला, अन्न के लिए मोहताज उपभोक्ता


क्यों कर रहे हड़ताल

हड़ताल के हालात इसलिए बने क्योंकि दिसंबर के पहले पूरा काम मैनुअल हुआ करता था. रजिस्टर में एंट्री करके उपभोक्ताओं को राशन वितरित किया जाता था. सरकार की नई नीति के कारण दिसंबर महीने से थंब इंप्रेशन आईडी से राशन वितरण प्रणाली लागू हो गई. इसके बाद जितने लोग विभाग के पोर्टल पर रजिस्टर्ड हैं उन्हीं को अब राशन जाता है. परिवार का यदि कोई सदस्य रजिस्टर्ड नहीं है तो उसका राशन नहीं दिया जाता. जिससे उपभोक्ता संख्या कम होने से कोटा भी घट गया और कर्मचारियों का कमीशन भी बहुत कम हो गया. मैनुअल सिस्टम में कर्मचारी जो हेराफेरी कर लेते थे अब वह भी बंद हो गई है.

क्या हैं मांगे

आंदोलनरत कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें स्थाई कर्मचारी का दर्जा दिया जाए. इसी तरह उपभोक्ता भंडार के वितरकों को 200 रुपए प्रति क्विंटल की दर से कमीशन दिया जाए. इसके अलावा आधार लिंक और आवंटन प्रक्रिया को सरल बनाया जाए. सहकारी समिति संघ के सचिव राकेश रजक का कहना है कि यदि मांगे नहीं मानी गईं तो वह अनिश्चित कालीन हड़ताल करने के साथ चरणबद्ध तरीके से आंदोलन करेंगे.


लोग हो रहे परेशान

कर्मचारियों द्वारा की जा रही हड़ताल के कारण आम इंसान परेशान हो रहा है. राशन नहीं मिलने के चलते कई घरों के चूल्हे नहीं जल पा रहे हैं. इस संबंध में कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी आंचल शर्मा का कहना है कि उपभोक्ता और समिति कर्मचारियों ने अपना मांग पत्र दिया है, जिसे आगे भेज दिया गया है. शासन का आगे जो आदेश होगा उसका पालन किया जाएगा.

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