दमोह। जिले के बटियागढ़ में सर्व समाज उत्थान एवं मृत्यु भोज कुप्रथा उन्मूलन समिति ने 1857 क्रांति की महानायिका रानी अवंती बाई के 163 वां बलिदान दिवस पर उनकी शहादत को याद करते हुए कार्यक्रम का आयोजन किया गयाा. इस अवसर पर लोगों ने उपस्थित होकर रानी अवंती बाई लोधी के बलिदान दिवस को समाज के, देश के उत्थान के लिए कारगर बनाने का लक्ष्य निर्धारित कर लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया.
रानी अवंती बाई की शहादत को किया याद कौन थी रानी अवंती बाई
रानी अवंती बाई 1857 क्रांति की सूत्रधार थी. जिनका जन्म सिवनी जिले के मनकेड़ी में हुआ में जमींदार राव जुझार सिंह के घर हुआ था. बाद में इनका विवाह वर्तमान डिंडौरी जिले स्थित रामगढ़ के राजा विक्रमादित्य से हुआ. इनके पति विक्रमादित्य के निधन के बाद उन्होंने अपने राज्य की गद्दी संभाली और देश को अंग्रेजों से आजाद कराने का प्रण लिया और आखिरी सांस तक अंग्रेजों से के खिलाफ लड़ती रहीं. जब रानी अवंती बाई अंग्रेजों से घिर गईं तो उन्होंने स्वयं को कटार मार ली और शहीद हो गईं. रानी की शहादत को पूरा देश नमन करता है. इसी अवसर पर श्रद्धांजलि के रूप में कार्यक्रम रखा गया.
प्रतिभाओं का हुआ सम्मान
रानी अवंती बाई लोधी के बलिदान दिवस के अवसर पर क्षेत्र में, समाजों में जो लोग प्रतिभा का कार्य करते हैं उन्हें सम्मान किया गया. जिसमें मृत्यु भोज बंद करने वाले लोगों का भी सम्मान हुआ. क्षेत्र के करीब 20 से ज्यादा लोगों को सम्मानित किया गया. सम्मान किए जाने के साथ महारानी अवंती बाई लोधी के बलिदान को याद करते हुए समाज में फैली कुरीतियों को भी समाप्त करने का संकल्प दोहराया गया. कार्यक्रम में समिति के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह, सामाजिक कार्यकर्ता विश्राम सिंह और भगत सिंह समेत कई लोग मौजूद रहे.