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गोंड वंश के राजाओं का सांस्कृतिक मंच रहा है रंगमहल, सन्नाटे के आगोश में छुपे हैं कई राज...

हटा का रंगमहल पर कई राजाओं ने शासन किया है, ये महल सुनार नदी के किनारे बसा हुआ है, जो अब खंडहरों में तब्दील हो गया है. दूर-दराज से आज भी कई सैलानी यहां पर आकर राजाओं के रहन-सहन के बारे में अनुभव करते हैं. एक समय घुंघरुओं की आवाज से गूंजने वाला यह महल अब सन्नाटे की आगोश में है. इस महल में कई पुरातात्विक धरोहर मौजूद हैं, जिन्हें देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं.

Rang Mahal
रंगमहल

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Published : Aug 19, 2020, 12:29 AM IST

दमोह। परिवर्तन प्रकृति का नियम है, दुनिया में ऐसे कई बदलाव हुए जो किसी को रास आए तो किसी को नहीं. दुनिया में बदलाव को कौन रोक सकता है भला, लेकिन बदलाव के बाद भी यदि कुछ जिंदा है तो वो हैं यादें, जो या तो कहानियों के तौर पर किताबों में दर्ज हैं या फिर वो निशान जो खंडहरों में तब्दील हो गए हैं. कई राजा आए और चले गए, लेकिन आज भी कई महल उन राजाओं की याद दिलाते हैं. ऐसा ही एक महल जिले के हटा में सुनार नदी के किनारे स्थित है. इस महल को रंगमहल के नाम से जाना जाता है. फौलादी दीवारें, बुलंद दरवाजे और किले में दफ्न की किस्से रंगमहल की दास्ता सुना रहे हैं. सदियां गुजरीं लेकिन इस रंगमहल की तस्वीर आज भी वैसी ही है.

हटा का रंगमहल

पहले जहां रंगमहल के भीतर घुंघरुओं की आवाज गूंजा करती थी, वहां अब सन्नाटा पसरा हुआ है. बताया जाता है कि इस महल की रानियां संस्कृति का मंच करती थीं. रंगमहल गोंडवंश के राजाओं के किलों में से एक है, जो इस क्षेत्र की गाथा बयान करता है. एक समय रंगमहल पर राजा हट्टेशाह का शासन हुआ करता था. इस किले की श्रंखला गोंड वंश के राजाओं ने बनाई थी, बाद में इस किले को महाराजा छत्रसाल ने बाजीराव को सौंप दिया था. वक्त के साथ-साथ इस किले के राजा भी बदलते गए. रंगमहल, हटा शहर के दाहिने किनारे बसा हुआ है. स्थानीय लोगों को कहना है कि फकीर मलंगशाह की दुआ ने मुसलमानी फौजों को हटा दिया था. इसी वजह से इसका नाम हटा पड़ा, जबकि कुछ लोगों का कहना है कि गोंड राजा हट्टे शाह ने हटा बसाया था और उसी के नाम से इसका नाम हटा पड़ा.

खंडहर हो रहा महल

शहर के बस स्टैंड के पास स्थित चार शताब्दी पुराना रंगमहल सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र बन सकता है. महल के चारों ओर बने गुंबद महल की सुंदरता को निखारते हैं, वहीं सामने एक बड़ा दरवाजा बना है, जो राजसी गाथा को बयान करता है. इस महल में कई पुरातात्विक धरोहर मौजूद हैं. इस महल के बारे में साहित्यकार डॉ श्याम सुंदर दुबे ने बताया कि किसी जमाने में आमोद-प्रमोद के लिए कई राजा यहां आए और उनके नाम इस रंगमहल से जुड़ते रहे. वास्तु स्थापत्य को देखते हुए इसका नाम रंगमहल है, लेकिन रंगमहल की दीवारें देख-रेख के अभाव में क्षतिग्रस्त होने लगी हैं.

बावड़ी

एक एकड़ से ज्यादा के क्षेत्र में फैला यह महल अतिक्रमण की चपेट में आने से सिकुड़ कर रह गया है. महल परिसर भी खंडहर में तब्दील हो गए हैं. पुरातत्व विभाग के सुपुर्द यह महल अब जीर्ण-शीर्ण हो रहा है. इस महल पर बुंदेला छत्रसाल, मराठा, गोंड, गुप्त, परिहार, कलचुरी, खिलजी, मुगल, पेशवा-मराठा के राजाओं ने राज किया है. नगर के वरिष्ठ व्याख्याता मनोज जैन ने बताया कि हटा शुरू से ही सांस्कृतिक कार्यक्रमों का मंच रहा है, जिसका साक्षात प्रमाण यहां का रंगमहल है. महल में प्राचीनकाल की एक बावड़ी है, जिसका वास्तु सौंदर्य देखते ही बनता है. रंगमहल अपने आप मे एक अलग ही महत्व रखता है. फिलहाल सरकार इस महल की ओर कब ध्यान देगी कुछ कहा नहीं जा सकता है.

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