दमोह।जिले में पिछले कुछ दिनों से सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है, लगातार शहर की फिजा बिगड़ती जा रही है. पिछले 6 माह से दमोह जिले में धर्मांतरण के मामले लगातार सामने आ रहे हैं, ईसाई मिशनरी एवं गंगा जमुना स्कूल दो ताजा मामले हैं, इसके उदाहरण हैं. 2 दिन पूर्व राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग द्वारा ईसाई मिशनरी द्वारा संचालित छात्रावास वार्डन के संबंध में प्राप्त हुई शिकायत की जांच की गई थी, इसके बाद ईसाई मिशनरी ने नाबालिग एवं दिव्यांग बच्चों को साथ ले जाकर कलेक्टर एवं एसपी को ज्ञापन सौपे थे. फिलहाल अब इस मामले को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने गंभीरता से लेते हुए पुलिस अधीक्षक को एक नोटिस जारी किया है.
राष्ट्रीय बाल आयोग ने ईसाई मिशनरी मामले में क्या कहा: आयोग ने अपने नोटिस में कहा है कि "सीपीसीआर 2005 की धारा तीन के तहत गठित एक वैधानिक निकाय है. आयोग को यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम 2012, किशोर न्याय अधिनियम 2015 तथा नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के उचित और प्रभावी क्रियान्वयन की निगरानी का कार्य सौंपा गया है, जिसमें वह सभी शक्तियां प्राप्त हैं जो सिविल प्रक्रिया संहिता 1960 के अधीन वाद का विचारण करते समय सिविल न्यायालय की होती हैं. आयोग को शिकायत मिली है कि आधारशिला संस्थान की प्रबंधन समिति द्वारा डॉ अजय लाल के निर्देशन में शासन की अनुमति लिए बिना एक रैली निकाली गई, जिसमें नाबालिग और दिव्यांग बच्चों का उपयोग किया गया है. उक्त रैली को भीषण गर्मी में बाल भवन से लेकर कलेक्ट्रेट और एसपी ऑफिस तक बच्चों को घुमाया गया, आयोग ने मामले को संज्ञान में लिया है. उक्त प्रकरण में सीसीआई के नाबालिग बच्चों का इस्तेमाल करना एक गंभीर अपराध है, अतः प्रकरण में कार्रवाई कर दोषियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कर आवश्यक दस्तावेजों के साथ अपनी जांच आख्या 3 दिन में प्रेषित करें."