दमोह। हिंदी पत्रकारिता के पितृ पुरूष माधवराव सप्रे की जन्मस्थली पथरिया मध्यप्रदेश की 15 वीं विधानसभा में दमोह जिले की पथरिया विधानसभा सीट हमेशा सुर्खियों में रही, इसकी वजह यहां की विधायक रामबाई परिहार है. जो अपने बेबाक और ठेठ बुंदेलखंडी अंदाज के लिए जानी जाती हैं. वहीं दूसरी तरफ उनके परिवार की पारिवारिक पृष्ठभूमि के कारण भी हमेशा सुर्खियों में रहती हैं. जातीय समीकरण के आधार पर अपने विधायक का फैसला करने वाली पथरिया सीट से 2018 में चतुष्कोणीय संघर्ष में बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर रामबाई परिहार ने अप्रत्याशित जीत हासिल की थी. 1998 से लगातार बीजेपी को जिताने वाले पथरिया विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने 2018 में अप्रत्याशित चुनाव परिणाम दिए लेकिन 2023 में जहां बीजेपी अपनी पुरानी सीट हासिल करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है, तो दूसरी तरफ कांग्रेस बीजेपी के गढ़ मानी जाने वाली विधानसभा में सेंध लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है.
पथरिया विधानसभा सीट में मतदाता: 1 जनवरी 2023 की स्थिति में पथरिया विधानसभा सीट में 1 लाख 21 हजार 614 पुरूष मतदाता, 1 लाख 9 हजार 466 महिला मतदाता और 4 अन्य मतदाता मिलाकर कुल 2 लाख 31 हजार 084 मतदाता हैं जो प्रत्याशियों की जीत का फैसला करेंगे.
पथरिया का इतिहास:मध्यप्रदेश में पत्रकारिता के पितृ पुरूष के तौर पर जाने वाले माधवराव सप्रे की जन्मस्थली पथरिया की सबसे बड़ी पहचान है. पथरिया आज भले ही एक छोटी सी नगर परिषद है लेकिन एक समय बुंदेलखंड का प्रसिद्ध व्यापारिक केंद्र था, पथरिया की असलाना नाम की बस्ती की पहचान करीब 3 सौ साल पहले कुटीर उधोग और हस्तशिल्प के बडे़ केंद्र के रूप में जाना जाता था. पथरिया दमोह जिला का रेलवे स्टेशन, नगर व तहसील है. यहां प्रमुख तौर पर हिंदु, मुस्लिम और जैन समुदाय के लोग निवास करते हैं. पथरिया से 10 किलोमीटर की दूरी पर सतपारा में सीमेंट पत्थर की खदानें है और पथरिया के नरसिंहगढ़ में सीमेंट फैक्ट्री भी है.
पथरिया के विधानसभा चुनाव का इतिहास:लगातार 4 चुनाव और 20 साल से पथरिया की सीट पर भाजपा का कब्जा था. भाजपा यहां लगातार नए चेहरे को मैदान में उतारती थी और चुनाव जीतने में सफल रहती थी लेकिन 2018 में भाजपा का ये किला चतुष्कोणीय संघर्ष के कारण ढह गया और बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरी रामबाई परिहार अप्रत्याशित तरीके से चुनाव जीत गयी.
2008 विधानसभा चुनाव:पथरिया विधानसभा सीट के 2008 के चुनाव में यहां भाजपा के दिग्गज कुर्मी नेता रामकृष्ण कुसमारिया ने त्रिकोणीय संघर्ष में जीत हासिल की थी. मुकाबला काफी कड़ा था और भाजपा के रामकृष्ण कुसमारिया महज 598 वोटों से चुनाव जीते थे और कांग्रेस प्रत्याशी तीसरे स्थान पर पहुंच गए थे. बसपा के पुष्पेंद्र हजारी निकटतम मुकाबले में रामकृष्ण कुसमारिया से हार गए थे. रामकृष्ण कुसमारिया को जहां 29 हजार 950 वोट हासिल हुई थी तो बसपा प्रत्याशी पुष्पेंद्र हजारी के लिए 29352 वोट मिले थे वहीं कांग्रेस के मनीषा दुबे को 22 हजार 403 वोटों के साथ तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा था.
2013 विधानसभा चुनाव:2013 विधानसभा चुनाव में भाजपा ने रामकृष्ण कुसमारिया की जगह कुर्मी समाज के नए चेहरे लखन पटेल को टिकट दिया. इस बार कांग्रेस ने 2008 में बसपा के टिकट पर चुनाव लडे़ पुष्पेंद्र हजारी को टिकट दिया. मुकाबला सीधे तौर पर भाजपा और कांग्रेस के बीच था, जहां भाजपा ने 7 हजार 215 मतों से जीत हासिल की. भाजपा प्रत्याशी लखन पटेल के लिए 60 हजार 83 मत हासिल हुए थे कांग्रेस प्रत्याशी पुष्पेंद्र हजारी को 52 हजार 768 मत हासिल हुए थे.