दमोह में बीजेपी नेताओं के बगावती तेवर, दांव पर पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया की प्रतिष्ठा
दमोह में वैसे तो मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा में है लेकिन आम आदमी पार्टी और बसपा भी अपनी जीत का दावा कर रही है. वहीं एक बार फिर बीजेपी नेताओं में नाराजगी देखी जा रही है इसका फायदा कांग्रेस प्रत्याशी को दिखता मिल रहा है.
भीतरघात से जूझ रही भाजपा के लिए अपनों से निपटना ही सबसे बड़ी चुनौती है.
दमोह। यहां मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच ही है. आम आदमी पार्टी और बसपा के प्रत्याशियों के बावजूद मुकाबला त्रिकोणीय नहीं है. लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी अजय टंडन बीजेपी के लिए परेशानी खड़ी करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं. एक के बाद एक दमदार नेता भाजपा का साथ छोड़कर जा रहे हैं. जिससे भाजपा के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है.
प्रचार करते बीजेपी प्रत्याशी जयंत मलैया
भीतरघात से जूझना भाजपा के लिए चुनौती:भीतरघात से जूझ रही भाजपा के लिए अपनों से निपटना ही सबसे बड़ी चुनौती है. सबसे पहले क्षेत्र के कुर्मी समाज के दिग्गज नेता और पूर्व जिला पंचायत सदस्य प्रहलाद पटेल के खास माने जाने वाले शिवचरण पटेल ने भाजपा को अलविदा कह दिया. इसके बाद पूर्व जनपद अध्यक्ष आलोक अहिरवार ने भी भाजपा का साथ छोड़ दिया. इतना ही नहीं जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दमोह विधानसभा में जिस समय सभा को संबोधित कर रहे थे उसी दौरान भाजपा के अभाना मंडल अध्यक्ष और कुशवाहा समाज के बड़े नेता अपने 200 से ज्यादा समर्थकों के साथ भाजपा को अलविदा कहकर कांग्रेस में शामिल हो गए.
बीजेपी प्रत्याशी से क्यों है नाराजगी:दरअसल भाजपा से निष्कासित होने के बाद पूर्व वित्त मंत्री और भाजपा के प्रत्याशी जयंत मलैया के बेटे सिद्धार्थ मलैया ने टीम सिद्धार्थ मलैया का गठन कर निकाय चुनाव में 39 में से 37 वार्डों पर अपने प्रत्याशी उतार दिए थे. यह बात अलग है कि उन्हें केवल पांच सीटों पर सफलता मिली. लेकिन उनके कारण भाजपा के 10 से ज्यादा उम्मीदवारों को बहुत ही कम मतों से हार मिली और वह पार्षद बनने से वंचित रह गए. जिला पंचायत के चुनाव में भी अपना प्रत्याशी उतार कर भाजपा को सत्ता से दूर कर दिया था. इस तरह नगर पालिका और जिला पंचायत दोनों ही जगह भाजपा सत्ता में आने से चूक गई थी. जिसके कारण अब वही लोग ताक में बैठे हैं कि कब मौका मिले और वह अपना हिसाब बराबर कर लें.
प्रचार करते कांग्रेस प्रत्याशी अजय टंडन
आप के जिला अध्यक्ष ने थामा दामन:आम आदमी पार्टी के जिला अध्यक्ष अभिनव गौतम ने पार्टी से इस्तीफा देकर भाजपा का हाथ पकड़ लिया. हालांकि अभिनव गौतम अभी राजनीति में नए हैं और कुछ समय पहले ही वह जिला अध्यक्ष बने थे. इसलिए उनकी इतनी पकड़ भी नहीं है कि वह भाजपा का कुछ विशेष फायदा करा सके. सेंधमारी से किसको कितना फायदा होगा फिलहाल कहना मुश्किल है लेकिन जातीय समीकरण के हिसाब से इस बार भाजपा के लिए अच्छा संकेत नहीं है.
क्या भाजपा प्रत्याशी की समझाइश काम आएगी:कुर्मी समाज के दिग्गज नेता पूर्व सांसद और पूर्व मंत्री डॉक्टर रामकृष्ण कुसमरिया भी नाराज बताए जा रहे हैं. दरअसल जब जिला भाजपा ने प्रधानमंत्री मोदी की सभा में मंच पर बैठने के लिए एसपीजी को नाम की सूची अप्रूवल के लिए भेजी तो उस सूची में रामकृष्ण कुसमरिया का नाम कहीं पर नहीं था. लिहाजा बाबा को मंच पर स्थान नहीं मिला. वह एक आम कार्यकर्ता की तरह जनता के बीच बैठे रहे. इस बात से खफा बाबा के समर्थकों ने सभा के अंत में अपना विरोध प्रदर्शन किया था. इधर भाजपा प्रत्याशी जयंत मलैया सभी से व्यक्तिगत मिलकर उन्हें समझाइश दे रहे हैं. लोगों के घर पहुंचकर समझा रहे हैं और सभी की नारजगी दूर करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन यह समझाइश कितना काम आती है यह चुनाव परिणाम के बाद पता चलेगा.