दमोह। मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव के ठीक पहले भाजपा में इस्तीफों का दौर शुरू हो गया है. दो दिन पहले जहां पूर्व वित्त मंत्री एवं भाजपा के कद्दावर नेता जयंत मलैया की बेटे सिद्धार्थ मलैया ने एकाएक भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र देकर लोगों को चौंका दिया था. अब उनके समर्थक भी त्यागपत्र दे रहे हैं. सिद्धार्थ के करीब आधा दर्जन समर्थकों ने इस्तीफे सौंप कर भाजपा के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है. यह इस्तीफे जिला कार्यालय में जिला अध्यक्ष प्रीतम सिंह लोधी को सौंपे. इनमें रमन खत्री पूर्व, पूर्व पार्षद कपिल सोनी, पूर्व नगर मंडल अध्यक्ष मनीष तिवारी, पूर्व ग्रामीण मंडल उपाध्यक्ष देवेंद्र राजपूत, संतोष रोहित, मिंटू अभिलाष हजारी शामिल हैं.
क्या होगा पार्टी पर असर:जिन समर्थकों एवं कार्यकर्ताओं ने अपने त्यागपत्र दिए हैं, वह एक समय पार्टी के केंद्र में थे. यह वह जमीनी कार्यकर्ता हैं जो 20 वर्ष और उससे भी लंबे अंतराल से पार्टी का काम करते आ रहे थे. इन्हें प्रत्येक वार्ड एवं ग्राम पंचायतों की जानकारी तथा अच्छी पकड़ है. पूर्व वित्त मंत्री के साथ काम का गहरा अनुभव, उनके अचानक पार्टी से चले जाने का खामियाजा अब भाजपा को भुगतना पड़ सकता है. ग्रामीण अंचलों में ही नहीं बल्कि नगरीय क्षेत्र में भी भाजपा को अच्छी खासी कीमत चुकाना पड़ सकती है.
भाजपा को करना होगा डेमेज कंट्रोल: त्रिस्तरीय पंचायती राज एवं नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा को डैमेज कंट्रोल करना होगा. क्योंकि मलैया समर्थक प्रत्याशी सीधे तौर पर भाजपा को टक्कर देंगे. उस पर कांग्रेस प्रत्याशी भी भाजपा प्रत्याशियों के लिए राह में रोड़ा बनेंगे. जो कार्यकर्ता अभी तक भाजपा का काम करते थे अब वही लोग मलैया समर्थकों के लिए वोट जुटाने का काम करेंगे. ऐसे में पार्टी को अपने प्रत्याशियों की जीत के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना होगा. सबसे बड़ी बात यह है की ऐसे सैकड़ों कार्यकर्ता हैं जो गमछा तो भाजपा का डाले होंगे, लेकिन काम मलैया समर्थकों का कर रहे होंगे. भीतरघात से बचना भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती होगी.