दमोह।धनतेरस के अवसर पर भगवान कुबेर को पूजने वालों की संख्या आज भी दमोह में कम नहीं है. लेकिन भगवान कुबेर का वर्तमान में दमोह में कोई मंदिर भी नहीं है. यदि हम इतिहास की बात करें तो दमोह के टूटे मंदिरों के भग्नावशेष से कुबेर भगवान की अनेक प्रतिमाएं प्राप्त हुई है. जो आज भी दमोह के पुरातत्व संग्रहालय में संरक्षित हैं.
दमोह जिला मुख्यालय पर स्थित रानी दमयंती पुरातत्व संग्रहालय में भगवान कुबेर की 4 प्रतिमाएं रखी गई हैं. यह प्रतिमाएं दमोह जिले के अलग-अलग स्थानों से मंदिरों के भग्नावशेष से प्राप्त हुई हैं. पुरातत्व संग्रहालय के मार्गदर्शक बताते हैं कि भगवान कुबेर की प्रतिमाएं मंदिर के उत्तरी भाग में स्थापित होती थीं.
यहां पूजे गए धन के देवता कुबेर दिगपाल के रूप में भगवान कुबेर को स्थापित किए जाने की परंपरा इतिहास में मिलती है. यही कारण है कि दमोह के अलग-अलग स्थानों से कुबेर भगवान की यह प्रतिमाएं प्राप्त हुई हैं. जिन्हें धनतेरस के अवसर पर लोग कुबेर के रूप में पूजते हैं.
दमोह के मंदिरों से मिली यह प्रतिमाएं भगवान कुबेर के धन वाले स्वरूप को प्रदर्शित करती हैं. जिसमें भगवान कुबेर धन की पोटली लिए हुए हैं. इन प्रतिमाओं के मिलने से यह सिद्ध होता है कि कालांतर में जिले में भगवान कुबेर को मानने वालों की संख्या में भी काफी इजाफा था और मंदिरों के निर्माण के साथ भगवान कुबेर को स्थापित किया गया था.
वर्तमान में ऐसा कोई मंदिर तो दमोह में नहीं है. लेकिन पुरातत्व संग्रहालय में संरक्षित भगवान कुबेर की प्रतिमाएं यह जरूर साबित करती है कि दमोह की पुरातत्व संपदा संपन्न रही है.