दमोह।हिंदू सनातन धर्म की खूबसूरती यही है कि यहां ईश्वर को स्वयं से अभिन्न माना जाता है. सनातन धर्मी अपने ईश्वर को सुलाते, जगाते, स्नान कराते, भोजन कराते यहां तक कि ग्रहणकाल में सूतक भी लगाते हैं. इसी तरह माना जाता है कि भगवान सर्दी-गर्मी से भी प्रभावित होते हैं. वहीं धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जगन्नाथ स्वामी की रथयात्रा के पहले भगवान बीमार हो जाते है और भगवान का उपचार किया जाता है. इसके साथ ही भगवान भक्तों को दर्शन नहीं देते. जगन्नाथ स्वामी 15 दिनों तक क्वॉरेंटाइन हो गए है. दमोह के 200 वर्ष प्राचीन श्री जगदीश स्वामी मंदिर में भी भगवान बीमार हो गए हैं, और वे अब 15 दिन बाद ही भक्तों को दर्शन देंगे.
प्राचीन मान्यता के अनुसार भगवान जगदीश स्वामी आषाढ़ मास कृष्ण पक्ष में 15 दिन तक बीमार रहते हैं. सर्दी-जुकाम होने के कारण भगवान भक्तों को दर्शन नहीं देते, वहीं मंदिरों में भगवान की सेवा करने वाले पुजारी भगवान की सेवा करते हैं. एक वैद्य यानी डॉक्टर सुबह-शाम आकर भगवान का उपचार भी करता है, भगवान को देसी दवाइयां दी जाती हैं.
भगवान जगदीश स्वामी हुए क्वॉरेंटाइन
कोरोना संक्रमण के कारण बाहर से आ रहे और कोरोना के लक्षण दिखने पर लोगों को 14 दिन के क्वॉरेंटाइन किया जा रहा है. इसी दौरान आषाढ़ मास में परंपरा के अनुसार भगवान जगदीश स्वामी क्वॉरेंटाइन हो गए हैं. ऐसे में पुरानी परंपरा के अनुसार इस बीमारी से निजात पाने के लिए करीब आधा महीने एकांतवास में रहना होता है और दवाइयां लेनी होती है. यही सब कुछ कोरोना बीमारी में भी हो रहा है. लोग अब मान रहे हैं कि भारतीय संस्कृति की पुरातन परंपराएं हमेशा ही नया संदेश देती है और इन दिनों भगवान जगदीश स्वामी का क्वॉरेंटाइन हो जाना कोरोना से जोड़कर देखा जा रहा है.
आयुर्वेद की दवाएं इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए कारगर