दमोह। कुंडलपुर पंचकल्याणक महा महोत्सव का शनिवार को चौथा दिन था. आचार्यश्री विद्यासागर महाराज के सानिध्य में हो रहे इस आठ दिवसीय पंचकल्याणक महा महोत्सव में कई दिग्गज नेता भी पहुंच रहे हैं. शनिवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और पीयूष गोयल ने बड़े बाबा के दर्शन करने,गजरथ महोत्सव में शामिल होने कुंडलपुर पहुंचे. (Piyush Goyal arrived at Panchkalyanak Maha Mahotsav). दोनों नेताओं ने आचार्यश्री विद्यासागर का आशीर्वाद लिया.
दमोह में पंचकल्याणक महा महोत्सव ओम बिरला और पीयूष गोयल पहुंचे कुंडलपुर
पंचकल्याणक गजरथ महोत्सव के चौथे दिन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला हेलीकॉप्टर से कुंडलपुर पहुंचे (Lok Sabha Speaker Om Birla in Damoh). उनके साथ केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल और पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया भी थे. इनके पहुंचने के कुछ ही देर पश्चात केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल भी कुंडलपुर पहुंचे. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और पीयूष गोयल ने बड़े बाबा के दर्शन के बाग श्री विद्यासागर जी महाराज को श्रीफल भेंट कर उनका आशीर्वाद लिया. इस दौरान आचार्यश्री ने सभी को तिलक लगाया. मीडिया से चर्चा करते हुए पीयुष गोयल ने बताया कि कहा कि मेरी मां जैन धर्म में पैदा हुई और मुझे शुरू से ही जैन धर्म की शिक्षाएं मिली है. आज आचार्य श्री के दर्शन करके उनका आशीर्वाद लेकर उनका मार्गदर्शन मिला कि देश को कैसे आगे बढ़ाना है. देश को विश्वशक्ति बनाना है.
सबसे ऊंचा जैन मंदिर भी बनाया जा रहा
कुण्डलपुर धाम के धार्मिक महत्व को देखते हुए यहां बड़े बाबा जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ का नागर शैली में दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर बनाया जा रहा है. जो अपनी दिव्यता और भव्यता के चलते अभी से लाखों भक्तों की श्रद्धा का केंद्र बनता जा रहा है. कुण्डलपुर के इस भव्य जैन मंदिर का कार्य पिछले 16 सालों से जारी है. इस मंदिर में 12 लाख घन मीटर पत्थरों का उपयोग किया जा चुका है. इस मंदिर में बड़े बाबा की तकरीबन एक हजार साल पुरानी प्रतिमा स्थापित की जा रही है.
पंचकल्याणक महा महोत्सव में पहुंचे कमलनाथ, आचार्यश्री विद्यासागर महाराज का लिया आशीर्वाद
लोहा,सरिया और सीमेंट के उपयोग के बिना बन रहा है मंदिर
दमोह जिला मुख्यालय से 36 किमी दूर स्थित जैन तीर्थ क्षेत्र कुंडलपुर में बड़े बाबा के मंदिर को भव्य तौर पर बनाया जा रहा है. 500 फीट ऊंची पहाड़ी पर बन रहे इस मंदिर का शिखर 189 फीट ऊंचा है. कहा जा रहा है की दुनिया में अब तक नागर शैली में इतनी ऊंचाई वाला मंदिर नहीं है. मंदिर की ड्राइंग डिजाइन अक्षरधाम मंदिर की डिजाइन बनाने वाले सोमपुरा बंधुओं ने तैयार की है. मंदिर की खासियत है कि इसमें लोहा, सरिया और सीमेंट का उपयोग नहीं किया गया है. इसे गुजरात और राजस्थान के लाल-पीले पत्थरों से तराशा गया है. एक पत्थर को दूसरे पत्थर से जोडऩे के लिए भी खास तकनीक का इस्तेमाल किया गया है.