दमोह। बुंदेलखंड के साहित्यकार अपनी कला के माध्यम से दुनिया भर में लोहा मनवा चुके हैं. होली के मौके पर बुंदेली गीतों के रचनाकार साहित्य की विधा में गीतों को कुछ इस तरह से पिरो देते हैं कि सुनने वाला वाह-वाह कह उठता है. होली के अवसर पर दमोह के चर्चित और प्रसिद्ध साहित्यकारों ने बुंदेली गीतों के माध्यम से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया.
होली के रंग बुंदेली गीतों के संग, बुंदेलखंड में चर्चित हैं होली के ये गीत.. - Bundelkhand
होली के अवसर पर बुंदेली गीतों की शाम ने कुछ इस तरह से समा बांधा कि हर एक गीत होली के रंग में रंगीन होता नजर आया.
दमोह के रहने वाले बुंदेली साहित्यकार डॉक्टर श्याम सुंदर शुक्ला और मनीष रैकवार ने डॉक्टर प्रेमलता नीलम संगीत साधना केंद्र में होली के कार्यक्रम में शिरकत की. वहां उन्होंने कुछ इस तरह से बुंदेली गीतों के रंग बिखेरे कि मौजूद लोग तालियां बजाकर वाह-वाह कह उठे. बुंदेली गीतों के माध्यम से साहित्यकारों ने बताया कि फागुन के महीने में होली का ये त्यौहार किस तरह से सारी प्रकृति में बदलाव लाता है, जिससे लोगों के जीवन में क्या बदलाव देखने को मिलता है.
साहित्यकारों द्वारा प्रस्तुत किए गए गीतों ने सभी का मन मोह लिया. बुंदेली गीतों से यहां मौजूद लोग मंत्रमुग्ध हो उठे. दर्शक गीत सुनकर अपने जीवन में घटित घटनाओं को याद कर झूम उठे. होली के अवसर पर बुंदेली गीतों की शाम ने कुछ इस तरह से समा बांधा कि हर एक गीत होली के रंग में रंगीन होता नजर आया.