दमोह। हटा तहसील के बहुचर्चित देवेंद्र चौरसिया हत्याकांड मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. यह बसपा विधायक रामबाई सिंह के पति गोविंद सिंह की गिरफ्तारी के बाद कोर्ट में पहली सुनवाई है. मामले को लेकर कोर्ट में सुनवाई के दौरान मध्य प्रदेश के पुलिस महानिदेशक की ओर से 107 पेज का हलफनामा पेश किया गया. जिसमें कई तथ्यों को खुलासा हुआ है. हालांकि इस हलफनामें में कई ऐसे चौकाने वाले तथ्यों का भी उल्लेख था, जो पुलिस अधिकारियों के पूर्व बयानों से मेल नहीं खाते हैं.
- गोविंद सिंह की गिरफ्तारी को लेकर दावा
पुलिस महानिदेशक एमपी द्वारा सुप्रीम कोर्ट में पेश किए हलफनामें में गोविंद सिंह की गिरफ्तारी को लेकर भी दावा किया है. लेकिन पुलिस ने इसमें मोबाइल लोकेशन, गोविंद सिंह को मुहैया कराए गए सुरक्षा गार्ड हटाने और उन्हें रखे जाने से संबंधित जानकारियां नहीं दी गई हैं. हलफनामे में कहा गया है कि गोविंद सिंह की गिरफ्तारी के लिए दमोह पुलिस की 5 टीमों और एसटीएफ के एडीजी विपिन माहेश्वरी के नेतृत्व में बनी 11 टीमों ने नीमच निंबाहेड़ा, राजस्थान के चित्तौड़गढ़, बूंदी, दिल्ली, ग्वालियर, मुरैना, दमोह और शिवपुरी आदि के इलाकों में सर्च ऑपरेशन चलाया था. जिसके बाद 26 मार्च को गोविंद सिंह के जयपुर में होने की सूचना मिलने पर राजस्थान की एसटीएफ टीम ने सर्च ऑपरेशन चलाया और भोपाल से ग्वालियर फिर मुरैना से शिवपुरी के कई इलाकों में कई जगह नाकाबंदी की गई थी.
- 2 लोगों पर दर्ज किए गए थे मामले
देवेंद्र चौरसिया हत्याकांड मामले पर कोर्ट में पेश हलफनामें में पुलिस ने आगे बताया कि उन्होंने गोविंद सिंह की तलाशी के दौरान उसके बहनोई भगवान दास और भरतपुर निवासी अजय तोमर के खिलाफ उसे संरक्षण और रहने के लिए पनाह देने पर मामला दर्ज किया है.