दमोह। जिले के ग्रामीण अंचलों में कठपुतली का खेल दिखा कर बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओं का संदेश दिया जा रहा है. एक ओर जहां ये खेल अब लुप्त होने की कगार पर है, वहीं ये कलाकार कठपुतली नृत्य के माध्यम से बेटी बचाने का संदेश दे रहे हैं, जबकि इस परंपागत माध्यम को बचाने का भी ये माध्यम बन रहा है. इस संदेश को जन-जन तक इस माध्यम से पहुंचाने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग भी सहयोग कर रहा है.
कठपुतली नृत्य के जरिए दिया जा रहा बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का संदेश - puppet play
दमोह में बेटी बचाने, बेटी पढ़ाने और 18 साल के बाद शादी करने का संदेश देने के लिए महिला एवं बाल विकास कलाकारों से कठपुतली खेल का आयोजन करा रहा है. इस खेल से एक ओर जहां ग्रामीणों को संदेश मिल रहा है वहीं लुप्त हो रही इस परंपरागत को प्रचार का माध्यम बनाया गया है, ताकि काठ होते पुरुषों की सोच को बेटियों के प्रति बदला जा सके.
महिला एवं बाल विकास विभाग बेटी बचाने के लिए इन दिनों ग्रामीण अंचलों में अनूठा प्रयोग कर रहा है, जिसके तहत ग्रामीण अंचलों में सबसे ज्यादा चर्चित लेकिन लुप्तप्राय हो रहे कठपुतली के खेल को दिखाकर जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है.
कठपुतली नृत्य देखकर लोग बेटी बचाने, बेटी पढ़ाने और 18 साल के बाद उसकी शादी रचाने का संदेश पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं, कठपुतली का खेल दिखाने वाले कलाकार और महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी भी मानते हैं कि कठपुतली नृत्य का प्रदर्शन लोगों के मानस पटल पर अपनी छाप छोड़ रहा है.