दमोह।जिले भाजपा ने अपनी शेष बचे तीन प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर दी है. अब चुनावी स्थिति बिल्कुल साफ हो गई है. टिकट घोषित होने के बाद भाजपा ने आभार जुलूस निकाला. कहते हैं कि इतिहास अपने आप को दोहराता जरूर है. इस बात को कोई माने या न माने लेकिन दमोह की राजनीति में यह बात 100 फीसदी सटीक बैठती है. यहां पर एक बार इतिहास फिर से दोहराए जाने के लिए तैयार है.
दमोह के इन दो नेताओं का राजनीतिक इतिहास: दरअसल, देर से ही सही लेकिन भाजपा ने आज दमोह जिले की शेष तीन सीटों पर अपने प्रत्याशियों के नाम की घोषणा कर दी है. जबेरा विधायक धर्मेंद्र लोधी पर पार्टी ने दूसरी बार भरोसा जताया है. हालांकि, इस घोषणा ने लोगों को चौंकाया जरूर है. यह तय माना जा रहा था कि हाल ही में वापस भाजपा में शामिल हुए ऋषि राज लोधी या पूर्व मंत्री दशरथ सिंह लोधी में से किसी एक को टिकट मिलेगा. ऋषि लोधी की वापसी भी संभवत: इसी शर्त पर हुई थी. लेकिन पार्टी ने सारे अनुमान को बदलते हुए प्रहलाद पटेल के कोटे से एक बार फिर धर्मेंद्र लोधी पर दांव चला है. तो दूसरी ओर हटा विधायक पीएल तंतुवाय का रिपोर्ट कार्ड खराब होने के कारण उनका टिकट काट दिया गया.
उनके स्थान पर एक बार फिर से पूर्व विधायक उमा देवी खटीक को अपना उम्मीदवार बनाया है. लेकिन इससे इतर दमोह विधानसभा में कयास और अनुमानों के अनुसार पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया को ही पार्टी ने उम्मीदवार घोषित किया है. यह बात अलग है कि अंत समय तक जयंत मलैया इस प्रयास में लगे रहे कि उनकी जगह उनके बेटे को टिकट दिया जाए. आपको बताते चलें कि दमोह विधानसभा से अजय टंडन चौथी बार कांग्रेस के प्रत्याशी बनाए गए हैं. जयंत मलैया और अजय टंडन का सीधा सामना पहली बार नहीं बल्कि तीसरी बार होने जा रहा है. दोनों ही नेता आपस में बहुत अच्छे मित्र भी हैं. इसलिए यदा कदा उन दोनों पर ही यह आरोप लगते रहे हैं कि उन्होंने पार्टी की गाइडलाइन से हटकर काम किया है और एक दूसरे का सपोर्ट किया है.
1993 में कांग्रेस ने पहली बार अजय टंडन को अपना प्रत्याशी बनाया था. जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी के रूप में भाजपा की अजेय नेता जयंत मलैया थे. पहले चुनाव में अजय टंडन को हार का सामना करना पड़ा था. पार्टी ने 2003 में एक बार फिर अजय टंडन को मौका दिया लेकिन इस बार भी अजय टंडन करीब 12000 मतों से चुनाव हार गए थे.