दमोह। जेल में बंद हत्या के एक आरोपी को मध्य प्रदेश में जनपद पंचायत का अध्यक्ष चुन लिया गया. दमोह जिले के इंद्रपाल पटेल पिछले तीन साल से जेल में बंद हैं और इससे पहले जनपद पंचायत सदस्य के रूप में चुनाव जीत चुके हैं. निर्वाचन अधिकारी अभिषेक ठाकुर ने बताया कि उन्हें बुधवार को हटा जनपद पंचायत का अध्यक्ष चुना गया. अनुमंडल दंडाधिकारी (SDM) और चुनाव अधिकारी ठाकुर ने बताया कि 17 सदस्यीय हटा जनपद पंचायत में 16 में से 11 मत प्राप्त कर पटेल को जनपद पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित घोषित किया गया. जेल में होने के कारण पटेल अपना वोट नहीं डाल सके थे. चुनाव बिना पार्टी चिन्ह के हुआ था. (MP janpad panchayat election result) अब जनपद अध्यक्ष चुने जाने पर खुद CM शिवराज ने ट्वीट कर बधाई दी है.
कौन है इंद्रपाल पटेल: पटेल के पिता और पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष शिवचरण पटेल ने कहा कि उनका बेटा हत्या के एक मामले में नाम आने के बाद से तीन साल से अधिक समय से जेल में है. इंद्रपाल दमोह के बहुचर्चित देवेन्द्र चौरसिया हत्याकांड में आरोपी है और उस पर हत्या समेत कई धाराओं में केस चल रहा है. यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है. पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष शिवचरण पटेल इंद्रपाल के पिता हैं. उन्होंने कहा कि मामला अभी भी विचाराधीन है और फैसला नहीं आया है. मध्य प्रदेश की कुल 313 जनपद पंचायतों में से 170 जनपद पंचायतों में अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष पद के लिए बुधवार को मतदान हुआ. शेष 143 जनपद पंचायतों के लिए गुरुवार को मतदान होगा. (Damoh Criminal Elected President)
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नहीं मिली थी वोट करने की अनुमति: हटा न्यायालय ने जेल में बंद इंद्रपाल की ओर से जनपद सदस्य बनने के बाद अध्यक्ष पद पर वोट करने की अनुमति मांगी थी. अध्यक्ष पद के चुनाव में शामिल होने के लिए इंद्रपाल पटेल ने याचिका दी थी जिसे कोर्ट ने निरस्त कर दिया था. इसे उस समय निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष शिवचरण पटेल के लिए बड़े झटके के तौर पर देखा गया था. क्योंकि जेल में निरुद्ध उनके पुत्र इंद्रपाल पटेल की वोट पेरोल याचिका पर कोर्ट ने कड़ा रुख अख्तियार किया था. (Devendra Chourasia Murder Case) (indrapal patel hata president)
देवेन्द्र चौरसिया हत्याकांड में जेल में हैं बंद: करीब साढ़े तीन साल से देवेन्द्र चौरसिया हत्याकांड में हटा जेल में बंद इंद्रपाल ने गैसाबाद से जनपद सदस्य का पर्चा दाखिल किया था. जिसमे वह विजयी भी हुआ. मामले में आपत्तिकर्ता सोमेश चौरसिया की ओर से हटा न्यायालय में पैरवी कर रहे वकील मनीष नगाइच और गजेंद्र चौबे ने बताया था कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 62 किसी भी बंदी को वोट करने का अधिकार नहीं देती. नगाइच का न्यायालय में तर्क था कि वोट करने का अधिकार किसी बंदी का मौलिक अधिकार नहीं है. ऐसी स्थिति में इंद्रपाल को जेल में रहने के दौरान जनपद में वोट करने की अनुमति नहीं दी जा सकती.
हाई कोर्ट से निरस्त हो चुकी है जमानत:जेल में बंद आरोपी की जमानत उच्च न्यायालय ने भी पूर्व में निरस्त कर दी थी. साथ ही यह संवेदनशील मामला सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चल रहा है. सारी बहस दलील और दोनों पक्षों की ओर से पेश सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों के आधार पर न्यायालय ने इंद्रपाल की ओर से पेश वोट पेरोल आवेदन को भी निरस्त कर दिया था. (Devendra Chourasia Murder Case) (indrapal patel hata president)