दमोह। उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी अजय टंडन ने बड़ी जीत हासिल की है. कांग्रेस के अजय टंडन ने बीजेपी के राहुल लोधी को 17 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से हराया है. कांग्रेस के अजय टंडन ने पहले राउंड से ही राहुल लोधी के ऊपर बढ़त बनाना शुरू कर दी थी. इसका नतीजा ये रहा है कि हर राउंड के बाद कांग्रेस को हजार से डेढ़ हजार की बढ़त मिलती गई. दमोह में बीजेपी और कांग्रेस के अलावा सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई.
कांग्रेस को मिला टिकाऊ-बिकाऊ का फायदा !
दमोह उपचुनाव में कुल 22 प्रत्याशी अपना भाग्य आजमाने उतरे थे. उनमें से कांग्रेस के प्रत्याशी अजय टंडन ने बीजेपी के प्रत्याशी को 17 हजार से ज्यादा वोटों से हराया है. बीजेपी ने दमोह में जीत के लिए कई मंत्रियों को अहम जिम्मेदारी सौंपी थी लेकिन वो किसी काम नहीं आई. नतीजा ये रहा कि बीजेपी प्रत्याशी राहुल लोधी को करारी हार का मुंह देखना पड़ा. इधर कांग्रेस ने भी प्रचार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी. कांग्रेस का टिकाऊ और बिकाऊ का मुद्दा यहां काम आया और जनता ने कांग्रेस के टिकाऊ उम्मीदवार को अपना नेता चुन लिया.
बीजेपी को मलैया की नाराजगी पड़ी भारी !
दमोह में बीजेपी की हार के कई कारण होंगे लेकिन जानकारों की माने तो उसमें से एक प्रमुख कारण मलैया की नाराजगी भी है. जयंत मलैया अपने बेटे सिद्धार्थ मलैया के लिए टिकट की दावेदारी कर रहे थे लेकिन बीजेपी ने कांग्रेस से आए राहुल लोधी पर दांव लगाया. नाराजगी के चलते मलैया प्रचार से दूर हो गए. लेकिन बीजेपी ने मलैया के बेटे सिद्धार्थ को दमोह शहर का चुनाव प्रभारी बनाया साथ ही मलैया को भी मना लिया.
लोधी-ब्राह्मण वोटर्स ने बिगाड़ा खेल !
जानकारों का कहना है कि दमोह में बीजेपी को लोधी वोटर्स बंटने का डर सच साबित हो गया. राहुल लोधी के बीजेपी आने के बाद से बीजेपी को अपने लोधी वोटर्स के बंटने का डर था. प्रह्लाद पटेल और उमा भारती के माध्यम से बीजेपी ने अपने वोट बैंक को बचाने की बहुत कोशिश की लेकिन शायद बीजेपी की कोशिशें नाकाम रही. इधर कांग्रेस की जीत में ब्राह्मण वोट बैंक का भी हाथ माना जा रहा है.
14 फीसदी कम हुआ था मतदान
दमोह उपचुनाव में 17 अप्रैल को 59.81 फीसदी मतदान हुआ. 2018 के मुकाबले यह आंकड़ा 14.64 फीसदी कम था. 2018 में दमोह में 74.45 फीसदी मतदान हुआ था. जानकारों के अनुसार कोरोना के चलते मतदान का प्रतिशत गिरा.