दमोह। कोरोना महामारी के बीच उपचुनाव की त्रासदी झेल रहे दमोह के लोगों के लिए आने वाला समय और भी संकट भरा हो सकता है. पिछले 14 दिन में 533 नए मरीज सामने आए हैं. हजारों की संख्या में विभिन्न प्रत्याशियों और दलों के कार्यकर्ता दमोह में डेरा डाले हुए हैं. प्रदेश के सर्वाधिक संक्रमित क्षेत्रों इंदौर, भोपाल, उज्जैन, जबलपुर आदि से आए लोग कोरोना बम बनकर शहर भर में घूम रहे हैं. इन सबके बीच राजनीतिक दलों द्वारा कोविड-19 की गाइडलाइन का पालन नहीं किया जा रहा है. उस पर लाचार जिला प्रशासन और चुनाव आयोग की चुप्पी लोगों को मौत के मुहाने पर खड़ा कर रही है. जिसके कारण प्रतिदिन कोरोना पॉजिटिव संक्रमितों की संख्या बढ़ती जा रही है.
- धज्जियां उड़ाने में कोई कम नहीं
दमोह में उपचुनाव अपने अंतिम दौर में है. 15 तारीख की शाम 5 बजे ढ़ोल नगाड़े, चुनावी सभाएं और रैलियों पर विराम लग जाएगा. लेकिन इसके पूर्व ही कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. न किसी को कोरोना महामारी का खतरा सामने दिख रहा है और न उसके भयंकर गंभीर परिणामों की चिंता है. चैत्र प्रतिपदा को केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल के नेतृत्व जिस तरह से व्यापारी संघ द्वारा प्रतिपदा पर्व मनाया गया, उसमें किसी ने भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया.
- राजनीतिक सभाएं दे रही कोरोना को दस्तक
बीजेपी के जनसंपर्क और अस्पताल चौराहे पर आयोजित सभा में मंच पर ही कम से कम 40 से 50 नेता और 50 से अधिक कार्यकर्ता आपस में चिपक कर बैठे और खड़े रहे. कार्यकर्ता भी बगैर मास्क और बगैर सोशल डिस्टेंसिंग के चुनावी सभा का मजा लेते रहे. ठीक इसी तरह कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री और पीसीसी चीफ कमलनाथ ने अपने साथियों के साथ एक खुली जीप में रोड शो किया. जीप में कमलनाथ के अलावा पूर्व मंत्री लखन घनघोरिया भी बिना मास्क के मौजूद थे. रोड शो में शामिल कार्यकर्ता बिना मास्क के आपस में चिपक कर चल रहे थे. दोनों ही दलों के प्रमुखों ने एक बार भी अपने कार्यकर्ताओं से यह अपील नहीं की कि वह गाइडलाइन का पालन करें. राजनीतिक रैलियों कोरोना को खुला न्योता दे रही है.
- एक दिन में बढ़े 93 मरीज