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दमोह में बनेगा स्क्रबर तकनीक से लैस पहला शवदाह गृह, जानें क्या होगी खासियत

नगर पालिका के हटा नाका मुक्तिधाम में आधुनिक इलेक्ट्रिक शवदाह गृह बनने जा रहा है. फिलहाल, इसके लिए टेंडर भी आमंत्रित किए गए हैं, जोकि जुलाई महीने में खोले जाएंगे. टेंडर खुलने से 6 माह के भीतर निर्माण एजेंसी को शवदाह गृह तैयार करना होगा.

electric crematorium
इलेक्ट्रिक शवदाह गृह

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Published : Jun 19, 2021, 8:51 AM IST

दमोह। कोरोना काल में एक ही दिन में दर्जनों की तादाद में लोगों की मौत के बाद, मुक्तिधामों पर अंतिम संस्कार के लिए लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा. इसके अलावा लकड़ियों की खपत इतनी अधिक बढ़ गई कि हरे भरे पेड़ों को काटकर गीली लकड़ी में ही लोगों को अपने परिजनों का अंतिम संस्कार करना पड़ा. इसके अलावा लगातार उठते धुएं के कारण पर्यावरण भी काफी हद तक प्रदूषित हुआ. इन सब परेशानियों को देखते हुए अब नगर पालिका के हटा नाका मुक्तिधाम में आधुनिक इलेक्ट्रिक शवदाह गृह बनने जा रहा है.

शवदाह गृह
जुलाई में खुलेंगे टेंडर
हटा नाका मुक्तिधाम में लंबे समय से इलेक्ट्रिक शवदाह गृह की मांग अब पूरी होने जा रही है. नगर पालिका परिषद द्वारा यहां एक आधुनिक इलेक्ट्रिक शवदाह गृह का निर्माण जल्द ही किया जाएगा. इसके लिए राज्य शासन से मंजूरी के बाद नगर पालिका ने 87.49 लाख रुपए का एस्टीमेट तैयार किया है. इसके लिए टेंडर भी आमंत्रित किए गए हैं. जोकि जुलाई महीने में खोले जाएंगे. टेंडर खुलने से 6 माह के भीतर निर्माण एजेंसी को शवदाह गृह तैयार करना होगा.

स्क्रबर टेक्नोलॉजी से लैस होगा शवदाह गृह
बता दें कि यह इलेक्ट्रिक शवदाह गृह स्क्रबर टेक्नोलॉजी से युक्त होगा. दरअसल, बड़े-बड़े कारखानों में जहां पर जहरीली गैस, धुआं, धूल और कार्बनिक रसायनों का उत्सर्जन होता है, वहां पर इस तरह की टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया जाता है. यह टेक्नोलॉजी शव जलने पर जो दुर्गंध तथा हानिकारक गैस आदि का उत्सर्जन होता है, उसको सोख लेती है. इस तकनीक में एक प्लांट होता है, जो आसपास के वातावरण और शवदाह गृह की चिमनी को नमी युक्त बनाकर उसकी जहरीली गैस को बाहर जाने से रोकता है. बाहर जो धुआं निकलता है वह हानिकारक नहीं होता है.
अभी चार मुक्तिधाम हैं
दमोह नगर पालिका की सीमा में अभी चार मुक्तिधाम हैं. जिसमें हटा नाका, जटाशंकर, हिरदेपुर तथा सीता बावली शामिल हैं. कोरोना काल में इस बार हटानाका मुक्तिधाम में लोगों को शव जलाने के लिए शैडों में जगह नहीं मिली. जिसके चलते उन्हें खुले आसमान के नीचे अंतिम संस्कार करना पड़ा, तो दूसरी ओर सीता बावली में लकड़ियों की कमी के कारण गीली लकड़ी और टायरों के द्वारा अंतिम संस्कार करना पड़ा.

6 माह में बनकर तैयार होगा
मुख्य नगरपालिका अधिकारी निशिकांत शुक्ला कहते हैं कि पर्यावरण को दृष्टिगत रखते हुए राज्य शासन ने इलेक्ट्रिक शवदाह गृह बनाने के निर्देश दिए हैं, जिसके बाद हटा नाका में यह इलेक्ट्रिक शवदाह गृह बनाया जाएगा. इसके टेंडर आमंत्रित कर लिए गए हैं. 6 महीने के अंदर इलेक्ट्रिक शवदाह गृह बनकर तैयार हो जाएगा. इससे लकड़ियों की खपत कम होगी और पर्यावरण को नुकसान नहीं होगा.

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