दमोह। त्रिस्तरीय पंचायती राज चुनाव के प्रथम चरण के तहत बुधवार को दमोह जिले की 4 जनपदों में अध्यक्ष उपाध्यक्ष का निर्वाचन संपन्न हुआ. इसमें से सभी चारों जनपदों में कमल की सरकार बनी तो पंजा को एक भी जनपद नहीं मिली. कांग्रेस का मैनेजमेंट, गणित और कयास, यह चारों ही फेल हो गए. माना जा रहा था कि दमोह और पथरिया में कांग्रेस की सरकार बनेगी तो हटा और जबेरा में भाजपा अपना कब्जा जमाएगी, लेकिन भाजपा ने कांग्रेस से दमोह और पथरिया सीट भी छीन ली. जबकि दोनों ही जनपद में कांग्रेस के पक्ष में अधिक सदस्य थे. उसके बाद भी कांग्रेस को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा.
दमोह जनपद की तस्वीर :25 सदस्य वाली दमोह जनपद में जनपद सदस्य के प्रबल दावेदार एवं पथरिया के पूर्व भाजपा विधायक लखन पटेल के भतीजे वीरेंद्र पटेल ने चुनाव के पहले ही इस्तीफा दे दिया था. जिस से मात्र 24 सदस्य बची थी. इनमें से एक वोट रिजेक्ट हो गया, जबकि 23 में से 15 वोट भाजपा प्रत्याशी प्रीति कमल सिंह को मिले. निकटतम प्रतिद्वंदी को मात्र 8 मतों से संतोष करना पड़ा. इसी तरह भाजपा समर्थित रश्मि दीपक सिंह भी जनपद उपाध्यक्ष के लिए निर्वाचित हुईं. रश्मि को 14 मत मिले, जबकि विपक्षी उम्मीदवार अर्जुन यादव को मात्र 10 वोट मिले.
जबेरा में कांग्रेस का प्रत्याशी ही नहीं था :जनपद पंचायत जबेरा में पहले ही दिन से तय माना जा रहा था कि आभा विनोद राय का निर्विरोध निर्वाचन हो सकता है और हुआ भी वैसा ही. आभा राय अध्यक्ष पद के लिए निर्विरोध निर्वाचित हो गईं. यहां पर कांग्रेस की तरफ से कैंडिडेट ही नहीं था. ठीक इसी तरह उपाध्यक्ष पद के लिए 3 फार्म भरे गए थे. जिसमें से रश्मि सुजान सिंह ने 10 वोट लेकर उपाध्यक्ष पद पर कब्जा जमाया. दूसरे नंबर पर 7 वोट लेकर मीना दीपक यादव रही तथा तीसरी प्रत्याशी मालती जय सिंह को मात्र 5 वोट लेकर संतोष करना पड़ा.
क्रॉस वोटिंग ने भाजपा को जिताया :पथरिया जनपद पंचायत में 21 सदस्यों में से 12 सदस्य कांग्रेस के पक्ष में थे, लेकिन क्रॉस वोटिंग होने से कांग्रेस ने यह सीट दी गंवा दी. भाजपा प्रत्याशी खिलान अहिरवार को 11 एवं कांग्रेस प्रत्याशी धर्मदास अहिरवार को 10 वोट मिले. 2 सदस्यों की क्रॉस वोटिंग के कारण कांग्रेस के हाथ से जनपद अध्यक्ष का पद चला गया. इसी तरह उपाध्यक्ष पद पर भाजपा की आरती उदयभान पटेल निर्वाचित हुई.
जेल में रहकर बने अध्यक्ष :प्रथम चरण के तहत जिले में सबसे रोचक चुनाव हटा जनपद का रहा. यहां पर निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष शिवचरण पटेल के पुत्र जेल में बंद इंद्रपाल पटेल अध्यक्ष पद के लिए निर्वाचित हुए. गौरतलब है कि इंद्रपाल ने यह चुनाव जेल में बंद रहते हुए ही लड़ा था और उन्हें विजयश्री भी मिली. इंद्रपाल को 10 वोट मिले और जबकि कांग्रेस प्रत्याशी शैलेश को मात्र 6 वोट मिले. यह चुनाव इसलिए भी रोचक रहा, क्योंकि कोर्ट ने इंद्रपाल की उस याचिका को निरस्त कर दिया था, जिसमें अध्यक्ष उपाध्यक्ष पद के लिए वोटिंग पैरोल देने की गुजारिश की गई थी. ऐसे में माना जा रहा था कि अब हटा सीट कांग्रेस की झोली में आ जाएगी, लेकिन भाजपा के चुनावी मैनेजमेंट में कांग्रेस पूरी तरह धराशाई हो गई और इंद्रपाल जेल में रहते हुए भी अध्यक्ष पद के लिए निर्वाचित हो गए.
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क्यों चित्त हुई कांग्रेस :चारों जनपदों में कांग्रेस का ढीलाढाला रवैया और अति आत्मविश्वास उसे ले डूबा. पूरे चुनाव में कांग्रेस जीते हुए प्रत्याशियों को एक करने में नाकाम रही. अध्यक्ष पद के लिए नाम की घोषणा करने में भी कांग्रेस भाजपा से पीछे रह गई. जिसके कारण कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार खिसककर भाजपा के पाले में पहुंच गए तो दूसरी तरफ भाजपा ने पहले दिन से ही जीते हुए प्रत्याशियों पर नजर रखना और उन्हें अपनी तरफ मिलाने का काम शुरू कर दिया था. चुनाव के 1 दिन पहले तक भाजपा ने प्रत्याशियों पर कड़ी निगरानी रखी और नकली मतपत्रों में बार-बार वोटिंग करा कर यह सुनिश्चित किया कि कहीं कम पढ़े लिखे या अनपढ़ प्रत्याशी गलती से दूसरी जगह मुहर न लगा दें या फिर गलत तरीके से मुहर लगाने के कारण वोट निरस्त न हो जाए. पूरी तरह आश्वस्त होने के बाद ही भाजपा पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतरी और कांग्रेस को चारों जनपदों में बुरी तरह मुंह की खानी पड़ी और हार का मुंह देखना पड़ा. (Congress failed in Damoh district) (BJP in all four Janpad)