छतरपुर। देशभर में जहां कोरोना और लॉकडाउन के चलते आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में देसी फ्रिज अर्थात मटकों का कारोबार चौपट सा हो गया है. आज हमने मटके के कारीगर कलुआ प्रजापति से बात की तो पता चला की इस लॉकडाउन के दौरान अधिकतर लोग घरों से नहीं निकल पा रहे हैं इस कारण उनका कारोबार चौपट हो गया है. जहां इनको मिट्ठी से बनाये मटकों के बेचने से दो वक्त का खाना नसीब होता है लेकिन इस बार उनका ये धंधा भी अन्य धंधों की तरह चौपट हो गया है.
लॉकडाउन के चलते चौपट हो रहा मटकों का धंधा, कारीगरों के सामने रोजी-रोटी का संकट
लॉकडाउन के चलते रोज काम कर कमाने वाले मजदूरों के लिए आफत पैदा हो गई है. ऐसे में छतरपुर के महाराजपुर में मटका बनाकर बेचने वाले कारीगर सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं.
छतरपुर जिले के महाराजपुर के पास ग्राम उर्दमऊ में रहने वाले कलुआ प्रजापति मिट्टी के शिल्पकार है और वो शासन प्रशासन से इस लॉकडाउन के दौरान कुछ मदद की आस लगाए बैठे हैं उन्होंने कहा की सरकारें हमारे व्यापार के लिए भी कोई मदद नहीं करती और हमें ईंधन के लिए लकड़ी बाजार से खरीदनी पड़ती है.
कलुआ प्रजापति ने बताया की उनकी आजीविका मिट्टी के ही धंधे पर टिकी है और वह लगातार अपनी आजीविका को लेकर संघर्ष करते रहते हैं. बहरहाल शासन प्रशासन दिहाड़ी कारीगरों की ओर भी देखना चाहिए और इनकी मदद के लिए यथा संभव प्रयास भी करना चाहिए.