दमोह। दमोह विधानसभा उपचुनाव के लिए अभी चुनाव आयोग ने तारीखों का ऐलान किया भी नहीं है कि भाजपा के तय प्रत्याशी राहुल सिंह एक बार फिर अपने लिए जमीन तैयार करने में जुट गए हैं. 17 जनवरी को राहुल सिंह बतौर वेयरहाउसिंग कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिलने के बाद दमोह पहुंचे थे, जहां राहुल के स्वागत में फूल मालाओं के साथ स्याही भी फेंकी गई थी. जब से राहुल दमोह आए हैं, वह लगातार ग्रामीण अंचलों का दौरा कर रहे हैं. कुछ दिन तक उन्होंने शहर में असंतुष्ट भाजपा पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के घर का रुख किया. जो जयंत मलैया से असंतुष्ट थे या उनके बहुत खासम-खास थे. कांवड़ यात्रा के बाद अब वह ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार दौरा करके मतदाताओं को साधने की कोशिश कर रहे हैं.
लोधी बहुल्य क्षेत्रों में फोकस
राहुल यह बात अच्छी तरह जानते हैं कि शहर की अपेक्षा ग्रामीण अंचलों के वोट उनके लिए ज्यादा महत्वपूर्ण हैं. इसीलिए वह खास करके लोधी बहुल्य क्षेत्रों में जाकर मतदाताओं को रिझाने में लगे हुए हैं. कांग्रेस पार्टी छोड़ने के बाद लोधी समाज के लोग भी उनसे नाराज थे. खासकर सोशल मीडिया में राहुल का बहुत विरोध हुआ था. संभव है वह उस नाराजगी को दूर करने के लिए ही लोधी बहुल्य क्षेत्रों में जा रहे हैं. अपने जनसंपर्क के दौरान कभी वह जमीन पर आम आदमी की तरह बैठ जाते हैं, तो कभी धूप में ही बाहर लोगों के साथ बातचीत करने लगते हैं. कमोवेश संदेश यही है कि वह अब भी पहले वाले ही राहुल हैं. कांवड़ यात्रा के बाद अभी तक राहुल सिंह सुहेला, लमती, पौं, हिनौती, देव डोंगरा, डबा, खांगर, मजा, मनका, रंजरा में दौरा कर चुके हैं. 21 तारीख को भोपाल जाने के पहले वह पिपरिया, कुआंखेड़ा, खामखेड़ा और श्यामरपटी में भी लोगों से मुलाकात कर जनसंपर्क करेंगे.
गजरथ में भी पहुंचे
ऐसा नहीं है कि राहुल सिंह केवल ग्रामीण अंचलों में ही व्यस्त हैं. वह हर तरफ नजर रखे हुए हैं. हाल ही में दमोह में संपन्न हुए जैन समाज के प्रमुख गजरथ महोत्सव में वह गए थे. वहां उन्होंने आचार्य श्री का आशीर्वाद भी लिया था और काफी वक्त बिताकर समाज के लोगों से मुलाकात की थी. इसके बाद उन्होंने अभाना में गजरथ महोत्सव में पहुंचकर पुनः मौजूदगी दर्ज कराई और लोगों की नाराजगी दूर करने का प्रयास किया. वह अपने जनसंपर्क से संदेश देना चाह रहे हैं कि उन्होंने कांग्रेस पार्टी किसी स्वार्थ के लिए नहीं छोड़ी, बल्कि अपने पद का बलिदान मेडिकल कॉलेज के लिए किया है.