दमोह। आप सब फर्जी तरीके से डिग्री हासिल करने वाले मुन्ना भाइयों के बारे में तो जरूर सुने होंगे, लेकिन क्या कभी सुना है कि पड़ोसी देश से भी कोई फर्जी तरीके से आ सकता है, जाली दस्तावेज के आधार पर ही डॉक्टर्स की डिग्री हासिल कर सकता है और आराम से क्लीनिक चलाकर अपना वर्चस्व जमा सकता है. पर ये सच है और ये सब हुआ है मध्यप्रदेश के दमोह जिले में, यहां के झलोन गांव में निजी क्लीनिक (private clinic in Jhalon village) संचालक (Bangladeshi Vishwajeet) विश्वजीत-विश्वास सारंग साल 2012 से निवासरत है, जोकि गांव में फर्जी डिग्री की आड़ में अपना क्लीनिक चला रहा था और फर्जी सबकी आंखों में धूल झोंक रहा था.
किस तरह हुई आरोपी की पहचान
जानकारी के मुताबिक वर्ष 2018 में आरोपी ने राजधानी भोपाल में पासपोर्ट के लिए आवेदन (passport application) किया था, जब आरोपी के दस्तावेजों का वेरिफिकेशन किया गया तो इस स्थिति में उसके पास एक पत्र पहुंचा और उसके दस्तावेजों की जांच की गई. आरोपी के दस्तावेजों की जांच में पता चला कि वह दमोह में रहते हुए फर्जी मूल निवास, पैन कार्ड और आधार कार्ड जैसे डॉक्यूमेंट बनवा लिया था, आरोपी की जो अंकसूची पासपोर्ट आवेदन के साथ संलग्न की गई थी, वह ढाका क्षेत्र की थी, जिसके बाद पुलिस हरकत में आई और उसकी निगरानी शुरू कर दी. जांच के दौरान पता चला कि यह फर्जी दस्तावेज बनाकर दमोह में निवास कर रहा है, जिसके बाद पुलिस ने आरोपी फर्जी डॉक्टर को गिरफ्तार (Bangladeshi Vishwajeet arrested) कर न्यायालय के समक्ष पेश किया, जहां से कोर्ट ने उसे जेल भेज दिया.
आरोपी कैसे पहुंचा दमोह
पुलिस ने बताया कि उक्त आरोपी विश्वास सारंग बांग्लादेश की राजधानी ढाका का रहने वाला है, जोकि पश्चिम बंगाल में अपने कुछ रिश्तेदारों की मदद से दमोह के झलौन गांव पहुंचा था, दमोह जिले में कई बांग्लादेशी डॉक्टर अपनी डॉक्टरी का धंधा जमाए हुए हैं, चिंता वाली बात यह है कि आरोपी ने पासपोर्ट के लिए अप्लाई किया था, इस स्थिति में पूरा मामला सामने आ गया, लेकिन ऐसे कई बंगाली डॉक्टर मौजूद हैं, जिनका फर्जी डॉक्टरी का व्यापार जिले भर में फल-फूल रहा है. आरोपी के ऊपर 16 अक्टूबर 2021 को विदेशी विशेषक अधिनियम 12, पासपोर्ट अधिनियम सहित विभिन्न धाराओं के अंतर्गत मामला दर्ज कर गिरफ्तार किया गया था.