दमोह।बिहार की राजधानी पटना में रहने वाले बाल ब्रह्मचारी दर्पण ने सांसारिक जीवन को अलविदा कर दिया है, अब बाल ब्रह्मचारी दर्पण ने वैज्ञानिक संत आचार्य श्री निर्भय सागर जी महाराज से मुनि की दीक्षा ले ली है. दीक्षा लेने के दौरान सैकड़ों लोग मौजूद रहे.दीक्षा लेने के बाद मुनि ब्रह्मदत्त सागर के नाम से उनका नामकरण किया गया.
- पंचकल्याणक महोत्सव में दी गई दीक्षा
दमोह में पंचकल्याणक महोत्सव चल रहा है, जिसमें शामिल होने के लिए देश ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों से भी बड़ी संख्या में जैन धर्म के लोग आए हुए हैं. इसी मौके पर आचार्य निर्भय सागर द्वारा मंगल प्रवचन एवं मुनि दीक्षा संपन्न कराई गई. दीक्षा के पूर्व केश लौंच आचार्य श्री ने किया. बाल ब्रह्मचारी दर्पण को हल्दी तेल के साथ स्नान कराया गया और शाही पोषाक पहनाई गई. इसके बाद वह हाथी पर सवार होकर दीक्षा स्थल पहुंचे. वहां गणधर वलय विधान किया गया.
इनको मिला यह सौभाग्य
विधान के लिए सौधर्म इन्द्र बनने का सौभाग्य मलैया ट्रैक्टर वालों को प्राप्त हुआ, दीक्षार्थी दर्पण धर्म को माता पिता बनने का सौभाग्य संतोष कुमार फिरोजाबाद वालों को मिला. 21 श्रावकों ने आचार्य श्री को शास्त्र भेंट किया गया. दीक्षार्थी को मयूर पंख से बनी नवीन पिच्छी रतलाई डॉक्टर परिवार ने दी. कमंडल दीक्षार्थी के छोटे भाई रतनेश और गौरव जैन ने दिया. दीक्षार्थी की बहन छाया सौरभ जैन को इन्दौर कौशलौंच छेलने का सौभाग्य मिला.
मुनि दीक्षा सौभाग्य की बात